वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यहां जीएसटी परिषद की बैठक से पहले कंपनियों को बड़ी राहत देने की घोषणा की। अर्थव्यवस्थ को गति देने के क्रम में सरकार का यह अब तक का सबसे बड़ा ऐलान है। इससे सरकारी खजाने को 1.45 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा। पिछले सप्ताह भी वित्तमंत्री ने निर्यात बढ़ाने और अटकी पड़ी आवास परियोजनाओं में फंसे खरीदारों को राहत देने का ऐलान किया था। इस निर्णय से भी सरकार को 50 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अब तक किए गए राहत उपायों से खजाने पर करीब 2 लाख करोड़ रुपए का भार पड़ेगा।
वित्तमंत्री ने घरेलू कंपनियों और नई घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कंपनी करों में बड़ी कटौती की घोषणा करते हुए कंपनी कर की दर बिना रियायत के 22 प्रतिशत कर दी है। उपकर और प्रभार मिलाकर यह दर 25.17 प्रतिशत हो जाएगी जो अभी 30 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार और निवेश बढ़ाने के लिए आयकर कानून में चालू वित्त वर्ष से बदलाव किया जाएगा और इसके लिए जल्द ही अध्यादेश लाया जाएगा।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि जो कंपनियां कर में छूट का लाभ नहीं उठाना चाहतीं और पुरानी दरों से कर चुकाना चाहती हैं तथा कर में पहले दी गई छूट की अवधि समाप्त होने के बाद इस नई कर दर को अपनाना चाहती हैं उन्हें 22 प्रतिशत की दर से कर देना होगा। नई कर दर अपनाने के बाद उन्हें पुरानी दर अपनाने की छूट नहीं मिलेगी। छूट और इंसेंटिव ले रही कंपनियों को राहत देने के लिए मैट को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
वित्तमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही सरकार ने सीएसआर के तहत कंपनियों के 2 फीसदी व्यय करने के दायरे का भी विस्तार करने का निर्णय लिया है। अब कंपनियां सीएसआर के तहत केन्द्र, राज्य, किसी अन्य एजेंसी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के इनक्युबेटरों पर भी व्यय कर सकेंगी। इसके अतिरिक्त सीएसआर कोष का सरकारी विश्वविद्यालयों, आईआईटी, नेशनल लैबोरेट्रीज और आईसीएआर, आईसीएमआर, सीएसआईआर, डीएई, डीआरडीओ, डीएसटी, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत स्थापित स्वायत्त संस्थानों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और फॉर्मा क्षेत्र में शोध के लिए भी उपयोग किया जा सकेगा।