सूडान से 1700 भारतीय नागरिक निकाले बाहर, आईएनएस तरकश भी किया तैनात
गुरुवार, 27 अप्रैल 2023 (20:32 IST)
सूडान में हैं 3500 भारतीय और भारतीय मूल के 1 हजार व्यक्ति
भारतीयों को निकालने के लिए आईएनएस तरकश पहुंचा सूडान
युद्धरत दोनों गुटों SAF और RSF के संपर्क में है भारत
नई दिल्ली। Sudan Crisis : सूडान के हिंसक गृहयुद्ध के कारण अत्यधिक अस्थिर हालात के बीच लगभग 1700 से 2000 भारतीय नागरिकों को देश से सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है तथा बाकी भारतीयों से तेजी से निकालने के लिए तीसरा नौसैनिक पोत आईएनएस तरकश भी पोर्ट सूडान पहुंच चुका है।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने ऑपरेशन कावेरी के बारे में जानकारी देते हुए गुरुवार को एक विशेष ब्रीफिंग में कहा कि सूडान में लगभग 3500 भारतीय नागरिक और भारतीय मूल के लगभग एक हजार व्यक्ति हैं।
पूर्वोत्तर अफ्रीका में सूडान में अस्थिर स्थिति के बारे में विस्तार से बताते हुए विदेश सचिव ने कहा कि 15 अप्रैल को दो प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच लड़ाई शुरू होने के बाद से दोनों पक्षों द्वारा कई युद्धविराम घोषित किए गए जिनमें से अधिकांश का सम्मान नहीं किया गया और कुछ आंशिक रूप से लागू किए गए।
उन्होंने कहा कि मौजूदा 72 घंटे का संघर्ष विराम काफी हद तक कायम है, लेकिन खार्तूम के कुछ हिस्सों में छिटपुट गोलीबारी और लड़ाई की सूचना मिली है। उन्होंने कहा कि इन अस्थिर परिस्थितियों के बीच, विदेश मंत्रालय और सूडान की राजधानी खार्तूम में भारतीय दूतावास, फंसे हुए भारतीयों को वापस लाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि यद्यपि खार्तूम से बाहर जाना अत्यधिक कठिन है।
इसके बावजूद भारतीय अधिकारियों ने खार्तूम के आसपास संघर्ष क्षेत्र के बावजूद वहां से निकलने के रास्तों की तलाश की और खार्तूम से पोर्ट सूडान तक 850 किलोमीटर के एक गलियारे से निकलने का फैसला किया। पोर्ट सूडान में भारतीय नौसैनिक पोत रुके थे। वहां एक हवाई पट्टी भी है जिस पर दो सी-130जे विमान उतर सकते थे।
उन्होंने कहा कि 850 किमी की दूरी तय करने के लिए अनुमानित यात्रा का समय 12-18 घंटे के बीच है और बसों के लिए डीजल की उपलब्धता में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इन कठिनाइयों के बावजूद वे इन वास्तविक तार्किक चुनौतियों का समाधान करने और बड़ी संख्या में भारतीयों को वापस लाने में सक्षम हैं।
क्वात्रा ने कहा कि खार्तूम में भारतीय मिशन ने दिन-रात काम किया और वे संघर्ष वाले क्षेत्रों से भारतीयों को लाने के लिए बसों की व्यवस्था करने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि जब पहला काफिला रवाना हुआ तो दूतावास के दो अधिकारी उनके साथ यह सुनिश्चित करने के लिए गए कि कोई समस्या न हो, भारतीयों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की।
पोर्ट सूडान में भारतीय नागरिकों को पूरे दस्तावेज मुहैया कराए गए, क्योंकि जब वे रवाना हुए तो कई अपने साथ दस्तावेज ला पाने की स्थिति में नहीं थे। विदेश सचिव ने कहा कि लगभग 600 भारतीय नागरिक भारत पहुंच चुके हैं या अपने वापसी के रास्ते में हैं। उन्होंने कहा कि 360 यात्री सऊदी अरब से चार्टर उड़ानों से भारत पहुंचे, जबकि अन्य 246 को वायुसेना के सी-17 हरक्यूलिस विमान उड़ान में महाराष्ट्र भेजा गया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में जेद्दा में 495 भारतीय हैं, जबकि पोर्ट सूडान में 320 और इससे अधिक यात्री खार्तूम से पोर्ट सूडान तक जाने वाली बसों में सवार हैं। उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल को आईएनएस सुमेधा ने 278 नागरिकों को निकाला, जबकि सी-130जे की दो उड़ानों से क्रमश: 121 और 135 लोगों को लाया गया, 26 अप्रैल को 296 लोगों को आईएनएस तेग से और 264 लोगों को सी-130जे की दो उड़ानों से भेजा गया।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लगभग 42 भारतीय नागरिक सीमा पार कर दक्षिण सूडान चले गए हैं और उन्हें वहां से लाने का प्रयास किया जा रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या अन्य देशों से निकासी के लिए अनुरोध किया गया था, उन्होंने कहा कि अन्य राष्ट्रीयताओं से भी अनुरोध किया गया है और भारत हर किसी को सभी सहायता प्रदान करने को तैयार है जो सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के अधीन हमसे संपर्क करता है, विशेष रूप से एक पारगमन देश के रूप में सऊदी अरब का जिक्र करते हुए कहा कि सभी निकलने वाले भारतीयों को जेद्दा लाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत सऊदी अरब और उसके नेतृत्व के साथ मिलकर काम कर रहा है और मदद के लिए आभार व्यक्त किया। सूडान में अभी भी भारतीयों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जमीन पर स्थिति बहुत अस्थिर और अप्रत्याशित है और भारत युद्धरत दोनों गुटों, एसएएफ और आरएसएफ के संपर्क में है।
हम दोनों पक्षों के साथ संपर्क में रहे हैं, हमारे संबंध ऐसे रहे हैं कि दोनों के साथ हमारे अच्छे समीकरण हैं। हमारी पहली प्राथमिकता भारतीयों को खार्तूम में अधिक सुरक्षा वाले क्षेत्र में लाना है और वहां से उन्हें पोर्ट सूडान तक परिवहन सहायता प्रदान करना है। फोटो सौजन्य : टि्वटर
Edited By : Chetan Gour (एजेंसियां)