जम्मू। सेना के ऑपरेशन मां को आज उस समय एक बार फिर सफलता मिली जब मां की पुकार सुन 2 स्थानीय आतंकियों ने मुठभेड़ शुरू होने से पहले ही हथियार डाल दिए। हथियार डालने के तुरंत बाद जब वे बाहर आए तो अपनी मां से गले लगकर खूब रोए। वह दृश्य बहुत ही भावुक था। पिछले हफ्ते भी मां की पुकार सुनकर एक आतंकी ने आतंकवाद का रास्ता छोड़ दिया था।
उत्तरी कश्मीर के सोपोर के तुज्जर इलाके में अल-बदर में हाल ही में शामिल हुए दो युवकों ने मुठभेड़ शुरू होने से पहले ही सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। सूचना मिलने के बाद पहुंचे सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को घेर लिया। सुरक्षाबलों ने दोनों आतंकियों को कई बार आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, परंतु वे नहीं माने।
परिजनों ने कहा कि यदि आज उन्हें कुछ हो जाता है तो उनके साथ उनका परिवार भी खत्म हो जाएगा। आतंकी संगठन केवल अपने स्वार्थ के लिए उन्हें इस राह पर चलने को मजबूर कर रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि घाटी में अभी तक जितने भी युवक आतंकवाद की राह में मारे गए हैं, उनके परिजन खुश नहीं हैं। किसी भी आतंकवादी संगठन ने उनकी सुध नहीं ली है।
इससे पहले भी बीते शुक्रवार को मध्य कश्मीर के बडगाम के चडूरा इलाके में सेना और पुलिस ने एक लश्कर आतंकी को सरेंडर करवाने में सफलता प्राप्त की थी। इस आत्मसमर्पण की प्रक्रिया के दौरान सुरक्षाबलों द्वारा पेश की गई इंसानियत की एक और मिसाल की वीडियो सामने आई थी, जिसमें सेना का एक जवान मुठभेड़ स्थल पर फंसे एक आतंकी की मां से उसे सरेंडर करवाने की अपील करवा रहा था।
इस दौरान एक जवान लाउडस्पीकर पर अपील करवा रहा था, तो दूसरा जवान आतंकी की मां के सामने ढाल बनकर खड़ा दिखाई दे रहा था, ताकि अगर आतंकियों की ओर से फायरिंग की जाती है तो मां को कोई नुकसान न पहुंचे। वीडियो में आतंकी नाजिम की मां कह रही थी, यहां आ जा, आ जा नाजिम मां के वास्ते बाहर आ जा, मां के खातिर गन छोड़कर बाहर आ जा। और उसने हथियार छोड़ मां की पुकार को सुन लिया था।