उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली इलाके में मंगलवार को बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में कुछ लोगों की मौत हो गई और कई लापता है। गंगोत्री तीर्थस्थल के रास्ते में पड़ने वाले इस गांव में बाढ़ ने घरों, होटलों और होमस्टे को बहा दिया। पहाड़ फटने से खीरगंगा में सैलाब आ गया। भारत में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं आम हैं। जानिए उत्तराखंड में आईं 5 बड़ी आपदाएं-
भूकंप के झटकों से दहला था उत्तरकाशी
20 अक्टूबर 1991 को 6.8 रिक्टर स्केल का उत्तरकाशी में आया भयानक भूकंप आया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस घटना में 768 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों घर तबाह हो गए थे। कई लोग हमेशा के लिए बेघर हो गए। इस घटना को याद कर लोग आज भी सिहर जाते हैं।
18 अगस्त 1998 में पिथौरागढ़ जिले में बड़ी तबाही मची थी। जिले के मालपा गांव में चट्टान दरक गई थी। इस प्राकृतिक आपदा में 225 लोगों की मौत दबने से हो गई थी। मृतकों में 55 लोग मानसरोवर यात्री थे। यह घटना और भी खतरनाक इसलिए हो गई क्योंकि मिट्टी और चट्टानों के मलबे ने शारदा नदी का जल प्रवाह रोक दिया था। इससे कई गांवों में पानी घुस गया था।
1999 का चमोली भूंकप (Chamoli Earthquake 1999)
1999 में चमोली जिले में 6.8 रिक्टर स्केल का भयंकर भूकंप आया था। भूकंप इतना खतरनाक था कि सड़कों और इमारतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गईं थीं। घटना में 100 लोगों की मौत हो गई थी। चमोली जिले से सटे रुद्रप्रयाग जिले में भी बड़े स्तर पर क्षति हुई थी। भूकंप के चलते नदी नाले का भी रुख बदल गया। कई गांवों में घुस गया।
2013 की केदारनाथ की आपदा कोई नहीं भूल पाया (Kedarnath Disaster 2013)
उत्तराखंड के इतिहास में इतनी भयावह घटना कभी नहीं हुई। 2013 में आई केदारनाथ में जयप्रलय को कोई नहीं भूल पाया है। जल प्रलय ने हजारों लोगों की जान ले ली। किसी को संभलने तक का मौका नहीं मिला। जो जहां था, वही दफन हो गया। कई महीने तक लोगों की खोज में अभियान चलाए गए। इस त्रासदी के आज भी कोई लोग लापता हैं। Edited by : Sudhir Sharma