कश्मीर में बढ़ती हिंसक घटनाओं के बीच आखिर भाजपा और पीडीपी का दोस्ताना टूट ही गया। भाजपा महासचिव राम माधव ने इस गठबंधन के टूटने की सूचना देते हुए कहा कि घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ, हिंसा बढ़ रही है। ऐसे माहौल में सरकार में रहना मुश्किल था। रमजान के दौरान केंद्र ने शांति के मकसद से ऑपरेशंस रुकवाए। लेकिन बदले में शांति नहीं मिली। यहीं नहीं उन्होंने पीडीपी सरकार पर भेदभाव के आरोप भी लगाए।
उन्होंने बताया कि हम इस नतीजे पर पहुंचे कि इस गठबंधन की राह पर चलना भाजपा के लिए मुश्किल होगा। घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ और हिंसा बढ़ रही है। लोगों के जीने का अधिकार और बोलने की आजादी भी खतरे में है। पत्रकार शुजात बुखारी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई।
भेदभाव की नीति : जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच सरकार के भेदभाव के कारण केंद्रीय नेतृत्व को लगातार नकारात्मक फीडबैक मिल रहे थे। जम्मू से 25 सीट जितने वाली भाजपा को घाटी में एक भी सीट नहीं मिल पाई थी और उन्हें जम्मू से स्थानीय लोगों के द्वारा उपेक्षित होने की शिकायतें आ रही थी। यहीं नहीं कठुआ कांड के बाद से ही वहां आपसी वैमनस्य काफी बढ़ रहा था और रोहिंगियाओं को जम्मू के बाहरी इलाकों में बसाने की खबरों से भी जम्मू में स्थानीय लोग आक्रोश में थे।
सीज फायर पर भारी पड़ा आतंक : रमजान के दौरान सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन रोकने पर भी भाजपा-पीडीपी में मतभेद थे। महबूबा के दबाव में केंद्र ने सीजफायर तो किया लेकिन इस दौरान घाटी में 66 आतंकी हमले हुए, पिछले महीने से 48 ज्यादा। इसके अलावा पत्रकार शुजात बुखारी और सेना के राइफलमैन औरंगजेब की हत्या से भी सेना और सुरक्षाबलों में इस एकतरफा सीजफायर को लेकर गुस्सा था।