हम सीख रहे हैं : यह पूछे जाने पर कि क्या ओबन की इस हरकत से केएनपी में इन जानवरों के लिए लिए जगह की कमी का संकेत है, इस पर शर्मा ने कहा कि यह देखते हुए कि वे भारत में सात दशक से अधिक समय पहले विलुप्त हो गए थे, वास्तव में कोई भी नहीं जानता कि एक चीते को कितनी जगह की जरूरत है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से उनको यहां लाए जाने के बाद में हम उनके बारे में सीख रहे हैं।
जंगल में एक पूर्ण जीवन जीने के लिए चीतों द्वारा आवश्यक स्थान पर कुछ विशेषज्ञों की टिप्पणियों को खारिज करते हुए, शर्मा ने कहा कि विशेषज्ञों ने दावा किया था कि चीता कैद में प्रजनन नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे गलत साबित हुए क्योंकि सियाया ने केएनपी में मार्च में चार शावकों को जन्म दिया।
नामीबिया से 8 चीतों को 17 सितंबर को केएनपी लाया गया था, वहीं इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का दूसरा जत्था लाया गया। इनमें से एक की किडनी की समस्या के चलते मौत हो गई। देश के आखिरी चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। (भाषा)