बढ़ीं आप की मुसीबतें, गृह मंत्रालय ने विदेशी चंदे का ब्योरा किया तलब

Webdunia
शनिवार, 6 मई 2017 (08:20 IST)
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) से विदेशों से मिल रहे चंदे का ब्योरा देने को कहा है। मंत्रालय ने आप के विदेशी चंदे का रिकॉर्ड ‘संदिग्ध’ होने के आधार पर विदेशी सहायता नियमन कानून 2010 (एफसीआरए) के तहत 3 मई को नोटिस जारी कर पार्टी को विभिन्न देशों से मिले चंदे की जानकारी मांगी है।
 
सूत्रों के अनुसार नोटिस में मंत्रालय द्वारा पार्टी को विदेश से मिल रहे चंदे को एफसीआरए के तहत ‘संदेहास्पद’ बताते हुए चंदे की विस्तृत जानकारी 16 मई तक बताने को कहा गया है। आप के नेता दिलीप पांडे ने नोटिस मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि गृह मंत्रालय ने 2-2 बार कोर्ट में हलफनामा दिया है कि ‘आप’ की फंडिंग में कोई गड़बड़ी नहीं है, फिर भी भाजपा परेशान करने का लोभ संवरण नहीं कर पाई।
 
आप नेता राघव चड्ढा ने कहा कि हाल ही में पंजाब सहित 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान आप को मिले चंदे का पूरा ब्योरा चुनाव आयोग के समक्ष पेश किया गया था। इसके बावजूद एफसीआरए का नोटिस और इससे एक दिन पहले सीबीआई की छापेमारी से साफ है कि केंद्र सरकार ने बदले की भावना से आप के खिलाफ खुला खेल शुरू कर दिया है।
 
गृह मंत्रालय में विदेशी सहायता इकाई के निदेशक संतोष शर्मा द्वारा जारी नोटिस में आप से विदेशी दानदाताओं और दान देने वाली कंपनियों के अंशधारकों की सूची तथा उनके द्वारा दी गई राशि का ब्योरा मांगा गया है। साथ ही पार्टी से दान में मिली राशि, स्रोत और उसकी प्रकृति भी बताने को कहा गया है।
 
इस बीच मंत्रालय के एक अधिकारी ने इसे सामान्य पूछताछ का हिस्सा बताते हुए आप के अलावा कुछ अन्य राजनीतिक दलों को इस तरह का नोटिस भेजे जाने की बात कही है। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह कारण बताओ नोटिस नहीं है। मंत्रालय आप द्वारा संदेहास्पद तरीके से विदेशी चंदा लेने के बारे में अंतिम फैसला पार्टी का जवाब मिलने के बाद करेगा।
 
पार्टी नेताओं की दलील है कि सामान्य तौर पर एफसीआरए के तहत दानदाताओं के नाम और पैन नंबर की जानकारी मांगी जाती है। पार्टी नेता आशीष खेतान ने कहा कि नोटिस में उस समय अवधि का जिक्र ही नहीं किया गया है जिसमें मिले विदेशी चंदे की जानकारी देना है। ऐसे में अनिश्चितकाल में किसी राजनीतिक दलों को मिले चंदे की जानकारी देना कैसे व्यावहारिक होगा। इससे साफ है कि केंद्र सरकार की यह कवायद सिर्फ ‘आप’ को परेशान करने के लिए है। (एजेंसी)
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