न्यायमूर्ति विभू बखरू ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए इसे उपराज्यपाल के पास वापस भेज दिया और 8 सप्ताह में तर्कसंगत निर्णय लेने के लिए कहा। न्यायमूर्ति बखरू ने कहा कि उपराज्यपाल के इस वर्ष 12 अप्रैल के आदेश में बंगला आवंटन रद्द करने पर यह जानकारी नहीं दी गई कि इसके आवंटन में कौन से कानून या नियम का उल्लंघन किया गया है। न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक दलों को परिसर आवंटित करने की अगर कोई नीति है तो उसे समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग के 13 जून को पारित 2 अहम आदेशों को भी स्थगित रखा है। विभाग ने पार्टी के वैकल्पिक कार्यालय का अनुरोध खारिज कर दिया था। विभाग ने अनुरोध खारिज करने के साथ ही पार्टी को 31 मई तक के बंगले के 27 लाख रुपए से ज्यादा के किराए के बकाया का भुगतान करने को भी कहा था।