विधानसभा के गुरुवार रात 11 बजे तक चलने वाले सत्र का समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने बहिष्कार किया है, लेकिन बुधवार रात सदन में आकर कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने पार्टी के नेताओं समेत सत्ता पक्ष को भी चौंका दिया।
रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की जीत में अदिति सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उनके पिता अखिलेश सिंह भी रायबरेली सीट से विधायक रहे थे। अखिलेश सिंह ने बाद में अपनी सीट बेटी अदिति को दे दी। विधानसभा के पिछले चुनाव में रायबरेली की 5 सीटों में से कांग्रेस बस यही सीट जीत पाने में कामयाब रही थी। अखिलेश सिंह जब कांग्रेस से अलग भी हुए थे, तब भी निर्दलीय के रूप में उन्होंने रायबरेली सीट से विधानसभा का चुनाव जीता था।
सदन में अदिति सिंह ने कहा कि वो जानती हैं कि क्या कर रही हैं। वो एक पढ़ी-लिखी महिला हैं और सब कुछ समझकर ही कर रही हैं। पार्टी लाइन से अलग होकर ही उन्होंने जम्मू कश्मीर सें धारा 370 हटाए जाने का समर्थन किया था, क्योंकि वो देश के हित में है।
अदिति ने जिला पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव, हर गांव में आवास, हर घर में शौचालय और किसानों के हित में किए जा रहे काम के लिए योगी सरकार की तारीफ की और मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। बहिष्कार के बाद भी उनकी मौजूदगी पर सवाल होगा, इसलिए उन्होंने सदन में ही इसका जवाब भी दिया और कहा कि दलगत भावना से ऊपर उठकर महात्मा गांधी के सम्मान में बोल रही हूं। पढ़ी-लिखी विधायक हूं, मुझे लगा कि विकास की बात हो रही है तो मुझे यहां होना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषक इसे अदिति के भाजपा के साथ उनकी करीबी के तौर पर ही देख रहे हैं। अदिति यदि भाजपा के करीब जाती हैं या सत्ता पक्ष में शामिल होती हैं तो यह अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए रायबरेली में बड़ा झटका होगा। अदिति के खिलाफ अनुशासनात्मक कारवाई के सवाल पर पार्टी विधायक दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि अभी कोई जल्दबाजी नहीं है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश कांग्रेस में अभी इतनी हिम्मत नहीं कि वो अदिति सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई करे। उन्हें पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी का करीबी माना जाता है, लेकिन उनका भाजपा के करीब जाना रायबरेली में सोनिया गांधी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।