प्रदूषण से दिल्ली में सांसों का संकट, देश की राजधानी किसकी जिम्मेदारी?
शुक्रवार, 4 नवंबर 2022 (14:04 IST)
देश की राजधानी जहां से पूरे देश का सिस्टम संचालित होता है, वहां जहरीली हवा से आम नागरिकों का दम घुट जाए। जिस राजधानी में न सिर्फ वहां का मुख्यमंत्री बल्कि देश के प्रधानमंत्री भी निवास करते हो। वहां प्रदूषण का AQI लेवल इतना बढ़ जाए कि बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं के सांसों पर संकट आ जाए और हालात इमरजेंसी जैसे हो जाए। प्रशासन अपने घुटने टेक दे और स्कूलों में अवकाश या ऑनलाइन कक्षाओं की घोषणा कर दे। इतना ही नहीं, इस जानलेवा संकट में भी राजनीति का जहर घुलकर इतना जहरीला हो जाए कि हम यह सोचने पर मजबूर हो जाएं कि आखिर देश की राजधानी किसकी जिम्मेदारी है।
केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच दिल्ली की यह हालत हो जाना इस बात का सबूत है कि हकीकत में दिल्ली सरकार-विहिन हो गई है।
प्रदूषण एक भयानक और जानलेवा मुद्दा है, जो हर आम आदमी से जुड़ा है, लेकिन ऐसे हालातों में उससे निपटने के बजाए जिस तरह से भाजपा और दिल्ली सरकार आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, देखकर लगता है कि यहां राजनीति का जहर प्रदूषण के जहर से भी ज्यादा खतरनाक साबित होने वाला है। क्योंकि तमाम राजनीतिक बयानबाजियों के बीच दिल्ली की जनता बेबस हैं और अपनी एक एक सांस के लिए जूझ रही है।
यह है दिल्ली का AQI लेवल
शुक्रवार 04 नवंबर को दिल्ली के IGI एयरपोर्ट स्टेशन पर सुबह 5 बजे के समय AQI का लेवल 489 दर्ज किया गया। वहीं, नोएडा में AQI का स्तर 562 नापा गया है। दिल्ली में AQI 450 के पार पहुंचने के बाद देश की राजधानी में प्रदूषण से इमरजेंसी की तरह हालात है। आपको बता दें कि अगर AQI का स्तर 400 से ऊपर जाता है तो इसे गंभीर श्रेणी में माना जाता है। दिल्ली के आनंद विहार क्षेत्र में तो AQI का स्तर 700 के आसपास बताया जा रहा है। ऐसे में दिल्ली की जनता का क्या हाल होगा, इसे समझ पाना बहुत मुश्किल है।
दिल्ली प्रदूषण का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इसके पीछे दिल्ली में वाहनों की संख्या, पंजाब और आसपास के इलाकों में जलाई जाने वाली पराली को बताया जा रहा है। यानी सरकारों को पता है कि दिल्ली में प्रदूषण के ऐसे खतरनाक हालात क्यों बने हैं, लेकिन उससे निपटने के बयाय उसमें राजनीतिक जहर घोला जा रहा है। भाजपा आम आदमी पार्टी पर लापरवाही का आरोप लगा रही है तो आम आदमी पार्टी सरकार को इसके लिए कोस रही है।
क्या है दिल्ली की हकीकत?
दिल्ली में प्रदूषण से होने वाली तकलीफों की हकीकत यह है दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता बिगड़ने और जहरीले धुंध के छाने की वजह से खांसी, सांस फूलना, आंखों में खुजली-जलन और अस्थमा अटैक जैसे मामले बढ़ गए हैं और डॉक्टर्स अभी से ही अस्पतालों में आपात स्थिति से जूझने लगे हैं। दिवाली के बाद यह स्थिति और ज्यादा बिगड़ गई है। स्वास्थ्य रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में खांसी और सांस फूलने की शिकायतों के साथ-साथ सांस की बीमारियों और एलर्जी में इजाफा हुआ है। दिल्ली के कई अस्पतालों की ओपीडी में खांसी, घरघराहट और सांस फूलना, नाक बहना, बंद नाक, गले और आंखों में खुजली के लक्षण हैं। इसमें अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के साथ-साथ फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया जैसे लक्षणों के साथ भी मरीज इमरजेंसी और ओपीडी में डॉक्टरों से मिलने आ रहे हैं। ऐसे में सवाल बस यही है कि पहले से प्रदूषण के जहर में घूट रही दिल्ली में राजनीति का जहर कब तक इसकी सांसों के लिए संकट बना रहेगा। देश की राजधानी दिल्ली आखिर किसकी जिम्मेदारी है। Written & Edited: By NavinRangiyal