ईडी के मुताबिक चिदंबरम ने अपने वित्तमंत्री के कार्यकाल के दौरान मार्च 2006 में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के जरिए ग्लोबल कम्युनिकेशन होल्डिंग सर्विस लिमिटेड को एयरसेल में निवेश की मंजूरी प्रदान की थी। एजेंसी के मुताबिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री केवल 600 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं को मंजरी प्रदान करने में सक्षम थे तथा इससे अधिक राशि की परियोजनाओं के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी की आवश्यकता थी।
चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) को नजरअंदाज कर दिया था। ईडी के मुताबिक, एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी थी, जबकि ये सौदा 3500 करोड़ रुपए का था। चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम ने इस जांच को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बताया है। (वार्ता)