अजित डोभाल ही रहेंगे NSA, जानिए उनसे जुड़े रोचक किस्से

सोमवार, 3 जून 2019 (13:53 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने अजीत डोभाल को एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है और इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।
 
केन्द्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है और इसे 31 मई से प्रभावी माना जाएगा। सरकारी आदेश में कहा गया है कि डोभाल प्रधानमंत्री के कार्यकाल या अगले आदेश जो भी पहले हो तक इस पद पर बने रहेंगे। आदेश में यह भी कहा गया है कि डोभाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।
 
 डोभाल से क्यों डरता है पाकिस्तान..?

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। नई सरकार में उन्हें दोबारा यही जिम्मेदारी सौंपी गई है। संभवत: यह पहला मौका है जब किसी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।
 
डोभाल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहते हुए ही सेना ने उरी आतंकवादी हमले के बाद सीमा पार जाकर आतंकवादी ठिकानों पर सफलतापूर्वक सीमित कार्रवाई की थी। इसके बाद गत फरवरी में वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के निकट बालाकोट में आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर बमबारी कर उन्हें ध्वस्त किया था। ये दोनों सर्जिकल स्ट्राइक पूरी तरह सफल रही हैं। 
 
डोभाल 1968 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं और उन्होंने ज्यादातर समय गुप्तचर ब्यूरो में ही कार्य किया और बाद में उसके प्रमुख भी बने। उन्होंने काफी समय तक पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में भी काम किया। वह पहले पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। 
 
आइए जानते हैं अजीत डोभाल से जुड़े कुछ रोमांचक किस्सों के बारे में
1. भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी। 
 
2. जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था।
 
3. कश्मीर में भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
 
4. अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब डोभाल ने ललडेंगा के सात में से छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपना पड़ा था।
 
5. डोभाल ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी।  
 
6. डोभाल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए हैं।
 
7. डोभाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारियां भी संभालीं और फिर करीब एक दशक तक खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा का लीड किया।

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