अजमेरी गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी के बाद 2002 के फरवरी मार्च में भड़के गुजरात दंगों का बदला लेने की नीयत से अक्षरधाम मंदिर पर किए गए हमले के फरार षडयंत्रकर्ताओं में से एक था। वह इस प्रकरण में निचली अदालत से सजायाफ्ता (जिसे बाद में उच्चतम न्यायालय ने बरी कर दिया था) एक पूर्व आरोपी का भाई है और उसी से मिलने के लिए आया था। वह घटना के पहले से ही रियाद में रहता था। पुलिस उस पर निगाह रख रही थी और उसने जैसे ही अहमदाबाद के लिए हवाई टिकट बुक किया यह सूचना पुलिस को मिल गई।