नई दिल्ली। वर्ष 2012 के बहुचर्चित छावला अनामिका गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन आरोपियों- राहुल, रवि और विनोद को बरी कर दिया है। 2014 में इन तीनों ही आरोपियों को हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। निचली कोर्ट ने सजा सुनाते समय इसे 'दुर्लभतम' मामला माना था। कोर्ट ने पीड़िता को अनामिका नाम प्रतीकात्मक रूप से दिया था।
दरअसल, 2012 में अनामिका नामक 19 साल की लड़की का पहले अपहरण किया गया। फिर गैंग रेप के बाद उसे बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया था। उसकी आंखों में तेजाब भी डाला गया था। यह दिल्ली के निर्भया गैंगरेप की ही तरह यातना झेलने वाली एक और बेटी का दिल दहलाने वाला मामला था।
यह था पूरा मामला : अनामिका उत्तराखंड के पौड़ी की रहने वाली थी और दिल्ली के छावला के कुतुब विहार में रहती थी। 9 फरवरी 2012 की रात नौकरी से लौटते समय राहुल, रवि और विनोद नाम के आरोपियों ने उसे अगवा कर लिया था। 14 फरवरी को 'अनामिका' की लाश बहुत बुरी हालत में हरियाणा के रेवाड़ी के एक खेत में मिली थी। गैंगरेप के अलावा 'अनामिका' को असहनीय यातनाएं दी गई थीं।
घटना के चश्मदीदों के बयान के मुताबिक जांच के दौरान पुलिस को लाल इंडिका कार की तलाश थी। बाद में पुलिस को उसी लाल कार में एक आरोपी राहुल पुलिस की गिरफ्त में आ गया। बाद में उसने अपने दोनों साथियों रवि और विनोद के बारे में भी पुलिस को सारी जानकारी दी। डीएनए की रिपोर्ट और दूसरे तमाम सबूतों से निचली अदालत में तीनों के खिलाफ केस निर्विवाद तरीके से साबित हुआ।