अमरनाथ हिम शिवलिंग पिघला, आस्था नहीं, एक और जत्था रवाना

जम्मू। अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग चाहे पिघल चुका हो लेकिन भक्तों की आस्था नहीं पिघली है। यही कारण है कि अमरनाथ स्थित पवित्र हिमलिंग के पिघलने की खबरों के बावजूद जम्मू से शुक्रवार को बसे छोटा जत्था 484 यात्रियों का अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना हुआ है। जबकि पिछले 36 दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या भी एक नया रिकार्ड बना चुकी है।
 
अधिकारियों ने बताया कि यह यात्रा 28 जून को शुरू हुई और अभी तक सुचारु रूप से चल रही है। अब तक 2.67 लाख श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक रूप से निर्मित हिम शिवलिंग के जल्दी पिघलने के कारण पिछले सप्ताह से लेकर अब तक यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है।
 
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि यहां भगवती नगर आधार शिविर से आज तड़के कड़ी सुरक्षा में 13 वाहनों में सवार होकर 454 श्रद्धालुओं का जत्था रवाना हुआ। पुलिस ने बताया कि गुरुवार को अमरनाथ यात्रा के 36वें दिन 1,974 यात्रियों ने पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन किए। अभी तक 2,67,911 तीर्थयात्री मंदिर में दर्शन कर चुके हैं। हालांकि यह पवित्र हिमलिंग 10 दिन पहले पूरी तरह पिघल चुका है।
 
यह भी सच्चाई है कि श्रद्धालुओं की आस्था, श्रद्धा व उत्साह के आगे हिमलिंग के पिघलने की खबर और कश्मीर के हालात बेमानी साबित हुए हैं। 28 जून से शुरू हुई यात्रा में अब तक करीब 2.67 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में हिमलिंग के दर्शन किए हैं, जो कि रिकार्ड है। अभी यात्रा संपन्न होने में 23 दिन का समय शेष बचा है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अनुसार अगर इस तरह ही शिव भक्तों का आगमन जारी रहा तो पहले के सारे रिकार्ड टूट जाएंगे।
 
आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वर्ष 2004 में करीब चार लाख, 2005 में 5 लाख, 2006 में 2.65 लाख, वर्ष 2007 में 2.13 लाख, वर्ष 2008 में 4.98 लाख और 2009 में 3.73 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा की थी। इस बार 21 दिनों में ही 1.90 लाख भक्तों ने दर्शन करके नया रिकार्ड बनाया है।
 
हालांकि जब से यात्रा शुरू हुई है तब से लेकर कश्मीर में हिंसा का माहौल बना हुआ है, लेकिन देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं के कदम नहीं रुके हैं। वर्ष 1988 में मात्र 96 हजार श्रद्धालुओं ने यात्रा की थी, उसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि होती गई। वर्ष 2008 में अमरनाथ भूमि विवाद के बाद जम्मू में बड़ा आंदोलन हुआ, जम्मू बंद रहा, लेकिन यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ा। 
 
इस बार मौसम खराब होने के साथ साथ हिंसा के कारण कई बार यात्रा को स्थगित किया गया है, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। डेढ़ लाख में से एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने जम्मू स्थित आधार शिविर में न जाकर सीधे पहलगाम व बालटाल से यात्रा की है। जबकि करीब एक लाख श्रद्धालु ही यात्री निवास से जत्थे में शामिल होकर यात्रा पर गए हैं। इसके अलावा हजारों की संख्या में कुछ श्रद्धालुओं ने बिना पंजीकरण के दर्शन किए हैं।
 

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