Amarnath Yatra : पहलगाम नरसंहार के उपरांत खुफिया अधिकारियों द्वारा आने वाले दिनों में दक्षिण कश्मीर में आतंकी हमले तेज होने की चेतावनी दी जा रही है। ऐसे में अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा चिंता का कारण बनती जा रही है क्योंकि यह दक्षिण कश्मीर में ही संपन्न होती है। अतः इसे फूल प्रूफ बनाने को सेना भी पूरी तरह से मैदान में उतरने की तैयारी में है। उसका सारा जोर दक्षिण कश्मीर में होगा जहां अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालु आएंगे और चिंता की बात यह है कि ताजा आतंकी हमलों, आतंकी गतिविधियों तथा पत्थरबाजों का गढ़ भी हमेशा दक्षिण कश्मीर ही रहा है।
अगर रक्षाधिकारियों की मानें तो दक्षिण कश्मीर समेत अन्य इलाकों में तेज होते आतंकी हमले आतंकियों की उस हताशा का परिणाम था जो सेना के तलाश करो और मार डालो अभियान से उनमें फैली हुई है। खबरों के मुताबिक, अमरनाथ गुफा के रास्तों पर सेना के जवानों की तैनाती का कार्य विपरीत मौसम के बावजूद इस बार जल्दी ही आरंभ हो जाएगा और सेना तैनाती से पूर्व क्षेत्र को आतंकियों से मुक्त कर लेना चाहती है। पहलगाम नरसंहार के उपरांत यह खतरा और इसलिए बढ़ गया है क्योंकि कहा यह जा रहा है कि पहलगाम नरसंहार के दोषी अभी भी दक्षिण कश्मीर में ही छुपे हुए हैं।
आधिकारिक तौर पर 70 हजार से अधिक अर्द्ध सैनिक बलों को अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर तैनात किया जाएगा। इनमें सेना के जवानों की गिनती नहीं होगी और न ही प्रदेश पुलिस के जवानों की। सभी को अगर मिला लिया जाए तो अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर तैनात किए जाने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या एक लाख से अधिक रहेगी। इनकी तैनाती लखनपुर के प्रवेश द्वार से लेकर अमरनाथ गुफा तक के रास्तों पर होगी।
ऐसे में आतंकियों पर उस पार से कुछ बड़ा करने का दबाव बना हुआ है, जबकि डर यह है कि आतंकियों का साथ देने को एक बार फिर पत्थरबाजों की फौज भी उनके साथ हथियार उठाकर मैदान में आ सकती है जिस कारण सुरक्षाबलों पर दोहरा भार आन पड़ा है, जबकि आशंका यह है कि पहलगाम नरसंहार जैसी घटनाओं की भी पुनरावृत्ति हो सकती है।