सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में अमित शाह ने लिखा, जम्मू कश्मीर इस्लामिक पालिटिकल पार्टी, जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग और कश्मीर फ्रीडम फ्रंट जैसे 3 और संगठनों ने हुर्रियत से खुद को अलग कर लिया है। यह कश्मीर के भीतर भारत के संविधान में लोगों के भरोसे का एक प्रमुख प्रदर्शन है।
3 वरिष्ठ अलगाववादी नेता मोहम्मद यूसुफ नकाश, हकीम अब्दुल रशीद और बशीर अहमद अंद्राबी ने सार्वजनिक रूप से अलगाववाद को त्याग दिया और हुर्रियत कांफ्रेंस के विभिन्न धड़ों से खुद को अलग कर लिया। ये तीनों नेता मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत धड़े से संबंधित थे। मोहम्मद यूसुफ नकाश जम्मू कश्मीर इस्लामिक पालिटिकल पार्टी के प्रमुख थे, हकीम अब्दुल रशीद जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग के अध्यक्ष थे, जबकि बशीर अहमद अंद्राबी कश्मीर फ्रीडम फ्रंट का नेतृत्व करते थे।
जानकारी के लिए आल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस (APHC) का गठन 1993 में कश्मीर में उग्र आतंकवाद के दौर में हुआ था। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर कश्मीर मुद्दे के समाधान की वकालत करता थां अपने शुरुआती दिनों में एपीएचसी 20 से अधिक राजनीतिक, धार्मिक, व्यापारिक और नागरिक समाज संगठनों का एक समूह था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इसकी प्रासंगिकता और प्रभाव में कमी आई है, और अब इसके कई सहयोगी संगठन और नेता इससे किनारा कर रहे हैं।