बड़ा सवाल, कहां से आए थे अरनिया में आतंकी?

श्रीनगर। जम्मू सीमा के अरनिया सेक्टर के कथार गांव में फिदाईन हमला कर 8 लोगों को मौत के घाट उतरने वाले आतंकी कहां से आए थे। इस पर सेना और सीमा सुरक्षा बल आमने सामने हैं। यही नहीं इन आतंकवादियों की सही संख्या को लेकर भी अभी तक संशय की स्थिति है।
आतंकी कहां से आए थे विरोधाभासी वक्तव्य हैं। सेना और पुलिस कहती है कि वे तारबंदी को पार कर आए थे। पर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी इसे मानने के राजी नहीं हैं। बीएसएफ के जम्मू रेंज के आईजी कहते थे कि कहीं कोई तारंबदी से छेड़खानी का निशान नहीं मिला है। ऐसा ही दावा चार साल पहले भी बीएसएफ ने तब भी किया था, जब आतंकी सांबा सेक्टर से दाखिल हुए थे और उन्होंने 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
 
सेना ने आज कहा कि जम्मू जिले में भारी हथियारों से लैस सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराए गए चारों आतंकवादियों ने संभवतः अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) को पार कर भारत में घुसपैठ की थी। रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष मेहता ने कहा कि जम्मू क्षेत्र के अरनिया सेक्टर में कथार गांव के नजदीक भारी हथियारों से लैस चार आतंकवादियों को भारतीय सेना ने मार गिराया। उन्होंने संभवतः 26 और 27 नवंबर की दरमियानी रात में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके घुसपैठ की थी।
 
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर उन्होंने सेना की वर्दी पहन ली और जो कपड़े उन्होंने पहले पहने थे, उन्हें भारतीय सीमा के डेढ़ किमी भीतर एक पुलिया के पास से बरामद किया गया। इसके बाद उन्होंने पांच नागरिकों को मार डाला और एक सफेद रंग की मारुति कार को कब्जे में लेने की कोशिश की। भारतीय सैनिकों ने उन्हें ललकारा और तुरंत उन्हें घेरने के लिए कार्रवाई की गई और अतिरिक्त बल भेजा गया। मुठभेड़ में पहले दिन तीन आतंकवादी मारे गए। इलाके की घेराबंदी कर दी गई। 28 नवंबर को चौथा आतंकवादी भी मारा गया। अभियान में तीन सैन्यकर्मी भी मारे गए।
 
हालांकि पिछले साल सांबा छावनी में आतंकियों द्वारा किए गए फिदाईन हमले में सेना ने अपने बचाव के लिए टैंकों का इस्तेमाल किया था पर यह पहला अवसर था जब सेना को इन टैंकों से बकायदा गोले भी इसलिए दागने पड़े क्योंकि जिस बंकर में आतंकी छुप गए थे उसे टैंक के गोले ही उड़ा सकते थे।
 

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