भैरोप्रसाद मिश्र के पूरक प्रश्न के उत्तर में जेटली ने कहा कि शुक्रवार को नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पूरी तरह सुरक्षित रखने के लिए जवान तैनात हैं और पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का पूरी तरह प्रभाव और प्रभुत्व है। सीमा पार से घुसपैठ रोकने के लिए सभी तरह के कदम उठाए गए हैं। इसी वजह से सेना जम्मू-कश्मीर के साथ पंजाब में भी घुसपैठ की कोशिशों को रोकने में पूरी तरह कामयाब रही है।
उन्होंने बताया कि इस साल 1 अगस्त तक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन के 285 मामले सामने आए हैं। 2016 में एलओसी पर इस तरह के 228 मामले सामने आए थे और 8 जवानों की जान गई थी। रक्षामंत्री ने कहा कि सीमा के उस ओर भी लोगों के बड़ी संख्या में हताहत होने के मामले सामने आए। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की सुरक्षा वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पिछले साल संघर्षविराम उल्लंघन के 221 मामले सामने आए थे।
एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में जेटली ने कहा कि सेना ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठरोधी अवरोध प्रणाली (एआईओएस) लगाई है। घुसपैठ को रोकने के लिए रडार, सेंसर और थर्मल इमेजर्स के साथ अन्य आधुनिक उपकरण लगाए जाते हैं और सीमा पर सुरक्षा के लिए बाड़ लगाने आदि की सतत प्रक्रिया है, जो चलती रहती है।
उन्होंने कहा कि भारत की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा के लिए सीमा पर देश की रक्षा तैयारियों को बनाए रखने और उन्नत करने के लिए समय-समय पर उचित कदम उठाए जाते हैं। कठिन परिस्थितियों और मुश्किल मौसम में काम करने वाले जवानों के लिए विशेष भत्ते के सवाल पर जेटली ने कहा कि हाल ही में सरकार ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिश से भी ज्यादा भत्ते की घोषणा ऐसे क्षेत्र में काम करने वाले सैनिकों के लिए की थी। (भाषा)