लोकसभा में जीएसटी पर क्या बोले जेटली...

बुधवार, 29 मार्च 2017 (15:03 IST)
नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी परिषद को सर्वसम्मति से गठित देश का पहला संघीय संस्थान बताते हुए बुधवार को कहा कि इसमें केंद्र तथा सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व है और उन्हें उम्मीद है कि यह अच्छे ढंग से काम करेगी।

जेटली ने लोकसभा में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) से संबद्ध 4 विधेयक संयुक्त रूप से चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक का मकसद पूरे देश में एक समान कर प्रणाली को लागू करना है। देश में वर्तमान में जारी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली 15 सितंबर तक जारी रहेगी और उसके बाद पूरे देश में समान कर प्रणाली की नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। जीएसटी को चर्चा के लिए पेश करते समय सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थीं।
 
उन्होंने कहा कि चारों विधेयक जीएसटी से संबद्ध हैं और इसके जरिए कर व्यवस्था को संघीय ढांचे में परिवर्तित किया जा रहा है। पूरी व्यवस्था के लिए अलग से प्रावधान किए गए हैं जिसमें सबसे अहम जीएसटी परिषद की व्यवस्था है। परिषद में 32 वित्तमंत्री शामिल हैं। इनमें 29 राज्यों के वित्तमंत्रियों के अलावा दिल्ली तथा पुडुचेरी की चुनी हुई सरकारों के वित्तमंत्री भी हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद ने विचार विमर्श के बाद जीएसटी व्यवस्था में चार दरें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत तय की हैं। लक्जरी कारों, बोतल बंद वातित पेयों, तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं एवं कोयला जैसी पर्यावरण से जुड़ी सामग्री पर इसके उपर अतिरिक्त उपकर भी लगाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला उपकर (सेस) मुआवजा कोष में जाएगा। जिन राज्यों को नुकसान हो रहा है, उन्हें इसमें से राशि दी जाएगी। ऐसा भी सुझाव आया कि इसे कर के रूप में लगाया जाए। लेकिन कर के रूप में लगाने से उपभोक्ताओं पर प्रभाव पड़ता। लेकिन उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर नहीं लगाया जाएगा।
 
जेटली ने विधेयकों को स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्रीय जीएसटी संबंधी विधेयक के माध्यम से उत्पाद, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क समाप्त हो जाने की स्थिति में केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा। समन्वित जीएसटी या आईजीएसटी के जरिये वस्तु और सेवाओं की राज्यों में आवाजाही पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा।
 
उन्होंने कहा कि पांच ऐसे केंद्र शासित प्रदेश जहां विधानसभा नहीं हैं, इसके अलावा कुछ ऐसे जल क्षेत्र हैं जिन्हें केंद्र शासित प्रदेश के दायरे में रखा जाता है। यूटी जीएसटी विधेयक इससे जुड़ा है। राज्य सी-जीएसटी विधेयक पारित करेंगे जिसके माध्यम से वैट जैसे कर समाप्त होने की स्थिति में राज्यों को बिक्री कर लगाने की अनुमति मिलेगी।
 
वित्त मंत्री ने कहा कि माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 में जीएसटी लागू से घाटा उठाने वाले प्रदेशों को मुआवजे का प्रावधान है। इसके जरिये जिन राज्यों को इसके कारण घाटा हुआ है, उन्हें पहले पांच वर्षों तक राजस्व नुकसान की भरपाई का प्रावधान है।
 
जेटली ने कहा कि जीएसटी के बारे में सभी निर्णय जीएसटी परिषद ने लिए जिसमें केंद्र के अलावा 29 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। यह संघीय स्वरूप को प्रदर्शित करता है। 
 
जेटली ने कहा कि इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जीएसटी के प्रावधानों का दुरूपयोग नहीं किया जा सके। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद की 12 बैठकें हुई है और इनमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि जीएसटी प्रणाली के बारे में सभी सिफारिशों पर सर्व-सम्मति बने।
 
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद कर ढांचे के बारे में केंद्र और राज्यों को सिफारिशें देगी। यह संवैधानिक मंजूरी के साथ संघीय अनुबंध है। जीएसटी कर प्रणाली में नई प्रकार की विविधता लाएगा और देश में वस्तुओं का मुक्त प्रवाह सुनिश्चित होगा।
 
अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की नई वस्तु एवं सेवाकर प्रणाली को पूरे देश में अमल में लाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए चार विधेयक तैयार किए गए हैं। इन पर संसद की मुहर और अलग से तैयार राज्य जीएसटी विधेयक को सभी राज्यों की विधानसभाओं में मंजूरी मिलने के बाद पूरे देश में जीएसटी व्यवस्था को लागू करने की विधायी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। 

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