विधि मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया कि निर्वाचन आयोग द्वारा व्यक्त की गई राय के आलोक में दिल्ली विधानसभा के 20 सदस्यों को अयोग्य करार दिया गया है। आप विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था और इस पद को याचिकाकर्ता ने लाभ का पद बताया था। आप को झटका देते हुए चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राष्ट्रपति से 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया था।
अधिसूचना में कहा गया कि निर्वाचन आयोग द्वारा व्यक्त की गई राय के आलोक में, मैं, रामनाथ कोविंद, भारत का राष्ट्रपति, अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए...दिल्ली विधानसभा के उक्त 20 सदस्य विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाते हैं। आप के सभी 20 विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इंकार कर दिया था।
इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने के बाद भी केजरीवाल सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि 70 सदस्यीय विधानसभा में केजरीवाल के 66 विधायक हैं और 20 की सदस्यता रद्द होने के बाद भी उसके विधायकों की संख्या 46 रहेगी, जबकि बहुमत के लिए 36 विधायकों की जरूरत है।
ये हैं 20 विधायक : प्रवीण कुमार (जंगपुरा), शरद कुमार (नरेला), आदर्श शास्त्री (द्वारका), मदनलाल (कस्तूरबा नगर), शिवचरण गोयल (मोतीनगर), अनिल कुमार बाजपेयी (गांधीनगर), सोम दत्त (सदर बाजार), अवतारसिंह (कालकाजी), विजेन्दर गर्ग (राजेन्द्र नगर), जरनैल सिंह (राजौरी गार्डन), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहितास नगर), रमेश यादव (महरौली), राजेश ऋषि (जनकपुरी), राजेश गुप्ता (वजीरपुर), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), अलका लांबा (चांदनी चौक), नितिन त्यागी (लक्ष्मीनगर), मनोज कुमार (कोंडली), सुखवीरसिंह (मूंडका)।