गुवाहाटी। राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का बहुप्रतिक्षित दूसरा एवं आखिरी मसौदा 2.9 करोड़ नामों के साथ सोमवार को जारी कर दिया गया है।
एनआरसी में शामिल होने के लिए असम में 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन दिया था। भारतीय महापंजीयक शैलेश ने कहा कि इस ऐतिहासिक दस्तावेज में 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली है। यह ‘ऐतिहासिक दस्तावेज’ असम का निवासी होने का प्रमाण-पत्र होगा। एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरमियानी रात जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे।
शैलेश ने कहा कि यह भारत और असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इतने बड़े पैमाने पर कभी ऐसा नहीं हुआ। सीधे उच्चतम न्यायालय की निगारानी में की गई यह एक कानूनी प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता, निष्पक्षता और तर्कपूर्ण तरीके से की गई। एनआरसी 25 मार्च 1971 से पहले से असम में निवास करने वाले सभी भारतीय नागरिकों के नाम इस सूची में शामिल करेगी।
अंतिम मसौदे में जिन लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए उन पर शैलेश ने कहा कि मसौदे के संबंध में दावा करने और आपत्ति करने की प्रक्रिया 30 अगस्त से शुरू होगी और 28 सितंबर तक चलेगी। लोगों को आपत्ति जताने की पूर्ण एवं पर्याप्त गुंजाइश दी जाएगी।
किसी भी वास्तविक भारतीय नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि एनआरसी की आवेदन प्रक्रिया मई 2015 में शुरू हुई थी और अभी तक पूरे असम से 68.27 लाख परिवारों के द्वारा कुल 6.5 करोड़ दस्तावेज प्राप्त किए गए हैं।