मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि विवादित ढांचे के नीचे एक ईदगाह हो सकती है। वहां भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की खुदाई में मिले दीवारों के अवशेष ईदगाह के हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जिस बड़े निर्माण की बात हो रही है, वह 12वीं सदी में बनाया गया था। उसका गुप्त काल से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि वहां पर ईदगाह भी हो सकती है। सभी जानते हैं कि ईदगाह का मुख पश्चिम की तरफ होता है, तो यह क्यों कहा जा रहा है कि वहां मंदिर ही था। उन्होंने कल भी अपनी दलीलों में एएसआई रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े किए थे।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने अरोड़ा को इस पर टोकते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष का तो ये मानना रहा है कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गई, लेकिन अब आप कह रही है कि उसके नीचे ईदगाह थी? अगर ऐसा था तो ये आपकी याचिका में ये शामिल क्यों नही था।