संगठन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा पंजाब नेशनल बैंक और कुछ अन्य बैंकों में कथित फर्जीवाड़ों के बाद सरकारी बैंक अपने मूल कारोबार को बचाने की कोशिश में जुटे हैं। उनके कर्मचारियों तथा अन्य संसाधनों पर काफी दबाव है, जिससे उनके लिए खातों को आधार से जोड़ने का काम इस समय कठिन होगा। उसने कहा है कि बैंकों को अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिये।
ग्राहकों पर बैंकों से ही नहीं भुगतान सेवा कंपनियों से भी दबाव बनाया जा रहा है, जिससे काफी उथल-पुथल की स्थिति पैदा हो सकती है। एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत का कहना है अर्थव्यवस्था अभी नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन जैसे ढांचागत से उबर ही रही है और ऐसे में 31 मार्च के बाद बैंक खातों के निष्क्रिय होने से उत्पन्न चुनौतियों के लिए वह तैयार नहीं है।