कोलकाता। दिल्ली में आगामी गणतंत्र दिवस परेड से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिन्द फौज के योगदान से जुड़ी पश्चिम बंगाल की झांकी को बाहर करने के केंद्र के फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हैरानी जताई है। उन्होंने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
बनर्जी ने यह भी कहा कि झांकी को खारिज करने का कोई कारण नहीं बताया गया और इस फैसले से लोग काफी आहत हुए हैं। बनर्जी ने मोदी को लिखे दो पन्नों के पत्र में कहा कि मैं भारत सरकार के आगामी गणतंत्र दिवस परेड से पश्चिम बंगाल सरकार की प्रस्तावित झांकी को अचानक बाहर करने के निर्णय से स्तब्ध और आहत हूं। यह हमारे लिए और भी चौंकाने वाली बात है कि झांकी को बिना कोई कारण या औचित्य बताए खारिज कर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया कि देश के महान बेटे और बेटियों के चित्रों को प्रदर्शित करने के अलावा स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी और आजाद हिन्द फौज के योगदान को दिखाने के लिए झांकी निर्धारित की गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिन्द फौज के योगदान तथा इस देश के महान बेटे और बेटियों ईश्वर चंद्र विद्यासागर, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद देशबंधु चित्तरंजन दास, श्री अरबिंदो, मातंगिनी हाजरा, नजरुल, बिरसा मुंडा और कई देशभक्तों की स्मृति में बनाई गई थी।
बनर्जी ने कहा कि झांकी को हटाया जाना स्वतंत्रता सेनानियों का कद घटाने और उनके महत्व को कमतर करने के समान है। बनर्जी ने पत्र में कहा कि मैं आपको सूचित करना चाहती हूं कि पश्चिम बंगाल के लोग केंद्र सरकार के इस रवैये से बहुत आहत हैं। यह जानकर हैरानी होती है कि यहां के बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर गणतंत्र दिवस समारोह में मनाने के लिए कोई जगह नहीं मिली है।
बनर्जी ने कहा है कि यदि झांकी को परेड में शामिल किया जाता है, तो सभी महापुरुषों को सबसे उचित तरीके से श्रद्धांजलि दी जाएगी। बनर्जी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि मैं आपसे इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर गणतंत्र दिवस परेड में पश्चिम बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों की झांकी को शामिल कराने का आग्रह करती हूं।