भारत-इसराइल दोस्ती की 5 बड़ी वजहें

सोमवार, 15 जनवरी 2018 (17:15 IST)
इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस वक्त भारतीय दौरे पर हैं। इस आधिकारिक दौरे को कूटनीतिक एवं व्यापार की दृष्टि से बेहद अहम कहा जा सकता है। यदि आपको याद हो तो बीते वर्ष नरेंद्र मोदी इसराइल का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने थे। इस तरह देखा जाए तो भारत-इसराइल रिश्ता अब तक के सबसे सुनहरे दौर से गुजर रहा है। 
 
 
इसराइल काफी लम्बे समय से भारत का सहयोगी एवं मित्र राष्ट्र रहा है। राजनीति में कभी भी बेवजह दोस्ती नहीं बढ़ाई जाती, भारत-इसराइल की दोस्ती भी इस तथ्य का अपवाद नहीं है। भारत और इसराइल दोनों को ही अलग-अलग मोर्चों पर एक दूसरे की जरूरत है, आइए जानते हैं वे प्रमुख वजहें जो दोनों देशों को करीब लाने का काम कर रही हैं। 
 
1. रक्षा समझौते एवं हथियारों की खरीद-फरोख्त : भारत इस वक्त हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार देश है। हथियारों की खरीदी में रूस, भारत का सबसे पुराना और बड़ा साथी रहा है। भारत के द्वारा खरीदे जाने वाले कुल हथियारों का लगभग 68 प्रतिशत रूस से आता है। इसके बाद 14 प्रतिशत के साथ अमेरिका और 7.2 प्रतिशत के साथ इसराइल का नंबर आता है। 
 
इसराइल से खरीदे जाने वाले हथियार रूस के हथियारों की तुलना में अधिक आधुनिक हैं। इसराइल की उन्नत हथियार तकनीक पूर्व में भी भारतीय सेना की मददगार साबित हुई है। ऐसे में भारत के लिए इस व्यापारिक रिश्ते को बढ़ाना बेहद फायदे का सौदा साबित हो सकता है। साथ ही ऐसा कर के भारत, रूस व अमेरिका पर अपनी निर्भरता भी कम करना चाहता है। जिसका कूटनीतिक लाभ भारत को ही मिलेगा। इसके अलावा एक तथ्य यह भी है कि इसराइल, भारत को हथियार देते समय अन्य देशों की नकारात्मक प्रतिक्रया को नजरअंदाज करता आया है। 
 
दूसरी ओर देखा जाए तो भारत को हथियार बेचना इसराइल के लिए आर्थिक रूप से काफी अहम है। इसराइल कभी भी हथियारों के सबसे बड़े खरीददार के साथ रिश्ते बिगाड़ कर अपना नुकसान नहीं करना चाहेगा। 
 
2. कूटनीतिक अहमियत : विश्व राजनीति में नजर डाली जाए तो चीन बेहद तेजी से सुपरपॉवर बनने की ओर अग्रसर है। विश्व में अमेरिका की धमक भी कुछ कमजोर होती दिख रही है। ऐसे में आने वाले कुछ दशकों में किसी एशियाई देश के विश्व शक्ति के रूप में उभरने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता। भारत के लिए दो बड़े पड़ोसी देश चीन व पाकिस्तान हमेशा से परेशानी का सबब रहे हैं। पिछले कुछ समय से रूस भी पाकिस्तान के साथ नजदीकियां बढ़ाता हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में कूटनीतिक तौर पर भारत को अन्य देशों के साथ रिश्ते मजबूत करने की बेहद जरूरत है। 
 
इसी कड़ी में भारत ने ईरान, सऊदी अरब समेत मध्य एशिया व यूरोप के अन्य महत्वपूर्ण देशों से भी रिश्ते बेहतर किए हैं। इसराइल के साथ संबंध मजबूत किए जाने को भी इसी कूटनीतिक चाल का हिस्सा कहा जा सकता है। 
 
इसराइल के नजरिए से देखें तो भारत भविष्य की संभावित महाशक्ति बनने की काबिलियत रखता है। अपने भौगोलिक क्षेत्र में इसराइल भी दुश्मनों से घिरा हुआ है। ऐसे में एक शक्तिशाली और मजबूत सैन्य क्षमता वाले देश भारत के साथ दोस्ती भविष्य में इसराइल को बड़ा कूटनीतिक लाभ दे सकती है। 
 
3. आतंकवाद के खिलाफ सहयोग : जिस तरह भारत आतंकवाद की समस्या से ग्रसित है, उसी तरह सीरिया व लेबनान जैसे देशों से घिरा इसराइल भी इस्लामिक आतंकवाद से परेशान है। दोनों ही देशों के लिए आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करना अन्य देशों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण लक्ष्य है। ऐसे में खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान से दोनों देशों का सुरक्षा तंत्र अधिक मजबूती से खड़ा रह सकता है। 
 
भारत व इसराइल की सेनाएं समय-समय पर सामूहिक सेना अभ्यास में भी शामिल होती हैं। आतंकवाद व पडोसी देशों से टकराव झेल रही दोनों सेनाओं के लिए एक दूसरे का साथ एवं सहयोग काफी मददगार साबित होता आया है। भविष्य में इसके और भी अच्छे नतीजे सामने आ सकते हैं। 
 
4. द्विपक्षीय व्यापार : भारत व इसराइल के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी समय के साथ बढ़ता जा रहा है। कीमती रत्न समेत उन्नत वाहन, प्लास्टिक के सामान से लेकर उन्नत हथियारों तक दोनों के बीच अच्छे व्यापारिक संबंध रहे हैं। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो इसराइल हर साल करीब 2 बिलियन डॉलर्स की कीमत का सामान भारत से आयात करता है।
 
इस लिहाज से इसराइल भारतीय सामानों के लिए एक अहम बाजार के रूप में उभरा है। कुछ ऐसे ही हालात इसराइल के लिए भी हैं, भारत विश्व के सबसे बड़े बाजार के रूप में विकसित हुआ है और इसराइल भी अन्य देशों की तरह इस बात का फायदा उठाना चाहता है। 
 
5. साइंस तकनीक व स्पेस प्रोग्राम्स : भारत-इसराइल लम्बे समय से तकनीक के क्षेत्र में एक दूसरे की मदद करते आए हैं। दोनों देशों के बुद्धिजीवी समय-समय पर संयुक्त साइंस अधिवेशन करते रहे हैं। इसके अलावा इसराइल आधुनिक हथियार व सैन्य उपकरण बनाने में भी भारत की मदद करता रहा है। भारत में खेती की आधुनिक तकनीकों के विकास के लिए भी इसराइल मदद कर रहा है। 
 
एक ओर जहां भारत को इसराइल से मदद मिलती है। वहीं दूसरी ओर भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में पकड़ का फायदा इसराइल को भी मिलता है। साल 2008 में इसराइल के उन्नत रडार सेटेलाइट टेकसार को इसरो ने अंतरिक्ष में पहुंचाया था। इसके बाद 2009 में इसरो एवं इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्री के द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किए गए रडार इमेजिंग सेटेलाइट रिसत-2 को भी इसरो के द्वारा ही अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था। 
 
इस तरह यह बात तो स्पष्ट रूप से कही जा सकती है कि भारत व इसराइल के बीच दोस्ती बढ़ने से दोनों ही देशों को अलग-अलग क्षेत्रों में काफी फायदा मिलेगा। देशहित से जुड़े स्वार्थ के लिए ही सही, लेकिन दोनों देशों के लिए यह दोस्ती मौजूदा विश्व राजनीति के लिहाज से अहम साबित हो सकती है।

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