भगवद् गीता को अनिवार्य बनाने संबंधी विधेयक में कहा गया है कि हर शैक्षणिक संस्थान को गीता को अनिवार्य रूप से नैतिक शिक्षा के रूप में पढ़ाना चाहिए लेकिन यह अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू नहीं होता। इसमें कहा गया है कि सरकार को ऐसे स्कूलों की मान्यता खत्म कर देनी चाहिए, जो इस विधेयक के प्रावधानों का पालन नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लागू करने के लिए सरकार को 5,000 करोड़ रुपए की व्यवस्था करनी होगी, साथ ही 100 करोड़ रुपए का गैर-आवर्ती खर्च भी आएगा।
लोकसभा के बुलेटिन में कहा गया है, राष्ट्रपति को विधेयक के मसौदे से अवगत करा दिया गया है तथा सदन से अनुशंसा की जाती है कि विधेयक पर संविधान के अनुच्छेद 117 (3) के तहत विचार किया जाए। संसद के अगले सत्र की तारीख अभी तय नहीं है। (वार्ता)