भाजपा का सवाल, मोदी तो राहुल और केजरीवाल को भी फॉलो करते हैं...

शुक्रवार, 8 सितम्बर 2017 (09:45 IST)
नई दिल्ली। पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोपी कुछ लोगों को ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फॉलो करने के आरोपों को भाजपा ने हास्यास्पद और फर्जी बताया और कहा कि यह अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को लेकर चुनिंदा तरीके की सोच को दर्शाता है।
 
भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने एक बयान में इस विवाद को एकतरफा करार देते हुए कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और आप नेता अरविंद केजरीवाल जैसे विपक्षी नेताओं से कभी उनके फॉलोअरों के व्यवहार को लेकर सवाल नहीं पूछे जाते।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का किसी व्यक्ति को फॉलो करना उस शख्स का ‘चरित्र प्रमाणपत्र’ नहीं होता और इस बात की गारंटी भी नहीं है कि उस शख्स का व्यक्तिगत आचरण कैसा होगा।
 
मालवीय ने कहा, 'वह दुर्लभ नेता हैं जो अभिव्यक्ति की आजादी में वाकई भरोसा करते हैं और उन्होंने कभी किसी को ट्विटर पर ब्लॉक या अनफॉलो नहीं किया है। हमारे पास कई ऐसे उदाहरण हैं जिनमें नेता सोशल मीडिया पर स्वतंत्र विचारों पर लगाम लगाते हैं जिनमें पहले के पीएमओ का हैंडल भी शामिल है।'
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आज भी भाजपा के पूर्व कार्यकर्ता पार्थेश पटेल को ट्विटर पर फॉलो करते हैं जो कांग्रेस में शामिल हो गया और जिसने बुरी से बुरी भाषा में प्रधानमंत्री के लिए अपशब्द बोले। उन्होंने कहा कि मौजूदा विवाद शरारतपूर्ण है। मोदी एकमात्र नेता हैं जो सोशल मीडिया पर लोगों के साथ खुलकर जुड़ते हैं। 
भाजपा की सफाई के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर बात पर ट्वीट करते हैं, गौरी लंकेश की हत्या की निंदा उन्होंने क्यों नहीं की। वो इस पर क्यों चुप्पी साधे हैं। सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री जिन्हें ट्‍विटर पर फॉलो करते हैं, वे गौरी लंकेश की हत्या पर जश्न मना रहे हैं। 
दूसरी ओर कर्नाटक के भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जीवराज ने कहा कि अगर गौरी लंकेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों की मौत के जश्न के बारे में न लिखती तो शायद आज वे जिंदा होतीं। उन्होंने कहा कि गौरी उनकी बहन जैसी थीं। जीवराज ने कहा कि कांग्रेस राज में हमने संघ के लोगों को मरते हुए देखा जिसके बाद लंकेश ने भी उनके बारे में लिखा, लेकिन अगर वे इस तरह के लेखों से दूरी बनाए रखतीं तो शायद जीवित होतीं। 

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