पिथौरागढ़। करीब सवा महीने पहले उत्तराखंड में नंदा देवी चोटी पर चढ़ने के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए आठ पर्वतारोहियों में से सात के शव भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों से बुधवार को पिथौरागढ़ लाए गए। इसके साथ ही भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और वायुसेना के हेलीकॉप्टरों का मिशन पूरा हो गया। आईटीबीपी की टीम को शव वापस लाने में करीब 500 घंटे का समय लगा।
पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी वीके जोगदंडे ने बताया कि शवों को 15,600 फुट की उंचाई पर स्थित कैंप वन से चीता हेलीकाप्टरों द्वारा पहले मुनस्यारी हेलीपैड पहुंचाया गया। वहां से उन्हें दूसरे हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ के नैनीसैंनी हवाईअड्डे लाया गया।
जिलाधिकारी ने बताया कि यहां से शवों को पोस्टमार्टम के लिये हल्द्वानी मेडिकल कालेज ले जाया जायेगा। इसके बाद उनकी पहचान की जायेगी। इसके लिए संबंधित देशों के दूतावासों और मृतकों के परिजनों की आवश्यकता पड़ेगी।
गत 23 जून को आईटीबीपी के जवानों ने बर्फ से खोदकर शवों को बाहर निकाला था और उन्हें 600 मीटर नीचे 17,500 फुट की उंचाई पर स्थित शिविर में ले आए थे। लेकिन भारतीय वायुसेना के चीता हेलीकाप्टरों के इतनी ऊंचाई तक उड़ पाने के प्रयास विफल रहने के बाद उन्हें टीम द्वारा 15,600 फुट तक नीचे लाया गया।
जाने माने ब्रिटिश पर्वतारोही मार्टिन मोरान के नेतृत्व में गयी आठ सदस्यीय टीम उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित 7,434 मीटर ऊंची नंदा देवी पूर्व चोटी को फतह करने निकली थी लेकिन रास्ते में ही लापता हो गई थी। मोरान पहले भी दो बार इस चोटी को फतह कर चुके थे।
इन पर्वतारोहियों में ब्रिटेन, अमेरिका और आस्ट्रेलिया के सात पर्वतारोहियों के अलावा दिल्ली स्थित इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के लाइजन अफसर चेतन पांडे भी शामिल थे।
सात शवों को आईटीबीपी की टीम ने बरामद कर लिया लेकिन लगातार खराब मौसम के कारण टीम को आठवें शव की तलाश का काम बीच में छोडना पड़ा। इन पर्वतारोहियों की टीम 13 मई को मुनस्यारी से निकली थी लेकिन 25 मई की तय तारीख तक वापस नहीं लौटी।
मृत पर्वतारोहियों में ब्रिटेन के चार, अमेरिका के दो और ऑस्ट्रेलिया तथा भारत से एक-एक पर्वतारोही हैं। इनके शव तीन जून को वायुसेना के खोजी विमानों ने देखे। इसके बाद आईटीबीपी ने 13 जून को ‘डेयरडेविल’ मिशन शुरू किया और बेहद जटिल अभियान में टीम शवों तक पैदल पहुंचने में सफल रही।
आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देसवाल ने कहा, 'हम अब भी आठवें पर्वतारोही की तलाश कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि उसका शव बर्फ में दब गया होगा और बर्फ पिघलने पर उसे निकाला जा सकता है।' उन्होंने कहा कि यह एक अद्वितीय और अभूतपूर्व अभियान था क्योंकि बल ने हिमालय क्षेत्र में इतनी अधिक ऊंचाई पर कभी ऐसा अभियान नहीं किया है।