ये महिलाएं लड़ाकू भूमिका से लेकर अन्य सभी शाखाओं में तैनात हैं। इनकी भर्ती 1972 में शुरू की गई थी और 2008 में इन्हें लड़ाकू भूमिका में उतारा गया। समय के साथ-साथ इनकी संख्या बढती गई तथा बल में अभी 42 महिलाएं उपनिरीक्षक और 3,280 सिपाही हैं।
बल में शामिल महिलाकर्मियों को बांग्लादेश तथा पाकिस्तान से लगती सीमा पर भी तैनात किया गया है, जहां ये अग्रिम पंक्ति में सीमा की चौकसी कर छद्मयुद्ध का मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं। बांग्लादेश से जाली मुद्रा की तस्करी और महिलाओं की घुसपैठ के मद्देनजर इनकी भूमिका को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।