राज्यों के चुनावों पर असर डालेंगी ये घोषणाएं

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017 (17:40 IST)
नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को 2017-18 का केंद्रीय बजट पेश कर दिया। सभी राजनीतिक दल 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बजट की तारीख को आगे करने की मांग कर रहे थे, क्योंकि उनका मानना था कि बजट में सरकार द्वारा की गई घोषणाओं का असर 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा और 1 फरवरी को बजट पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। 
लेकिन कोर्ट ने भी इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया था कि इन राज्यों में चुनावों को टाल दिया जाए, क्योंकि ऐसा करने से सत्तारूढ़ दलों को अनुचित लाभ मिलेगा। उत्तरप्रदेश में एससी और एस एसटी वर्ग के मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा है और मोटे तौर पर इन्हें परंपरागत तौर पर 'बहनजी' का समर्थक माना जाता है लेकिन इस बार बहनजी ने काफी संख्या में ब्राह्मणों और मुस्लिमों को भी टिकट दिए हैं।
 
दलित कल्याण बजट में 35 फीसदी की बढ़ोतरी :  इसका दूसरा अर्थ है कि बहनजी अब केवल दलितों या मुस्लिमों के भरोसे पर नहीं रहना चाहती हैं। इस कारण से सरकार ने दलितों, मुस्लिमों को रिझाने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी है। और जबसे भाजपा ने लोकसभा चुनाव जीते हैं, उसका सत्ता में आने के बाद दलित प्रेम जागा हुआ है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को केंद्र में रखकर भाजपा अनुसूचित जाति के लोगों पर डोरे डालने की कोशिश कर रही है। हाल में डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए लाया गया भीम एप भी इसी का उदाहरण है। 
 
पंजाब और उत्तरप्रदेश 2 ऐसे राज्य हैं, जहां दलितों की आबादी सबसे अधिक है। उत्तरप्रदेश में दलित संख्या के मामले में देश में सबसे ज्यादा हैं वहीं पंजाब में दलितों की आबादी प्रतिशत के आधार पर सबसे अधिक है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बजट में अनुसूचित जातियों के लिए बजट में काफी बढ़ोतरी की गई है। विदित हो कि 2016-17 में यह राशि 38,833 करोड़ रुपए थी जिसे 2017-18 में बढ़ाकर 52,393 करोड़ रुपए कर दिया गया है। यह बजट अनुमान 2016-17 की तुलना में करीब 35 फीसदी अधिक है।
 
मुस्लिम वोटरों को ललचाने की कोशिश :  आमतौर पर भाजपा को मुस्लिम विरोधी के तौर पर जाना जाता है लेकिन जब वोटों की बात आती है तो पार्टी मुस्लिम मतों को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। यह बात सभी जानते हैं कि देश में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा यूपी में है और हालांकि पार्टी ने पूरे प्रदेश में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को प्रत्याशी नहीं बनाया है, इसके बावजूद अल्पसंख्यक कल्याण की योजना के बजट की राशि 4,195 करोड़ रुपए कर दी गई है। 
 
नोटबंदी के समर्थन पर मरहम का तोहफा  :  सरकार ने 5 लाख रुपए की आय पर कर की दर को 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। इससे मध्यम वर्ग को सीधे तौर पर फायदा पहुंचेगा। सरकार भले ही इससे टैक्स देने वालों की संख्या में इजाफा करने वाला कदम बता रही है लेकिन इस कदम से वित्तमंत्री ने मध्यम वर्ग के वोटर को अपनी तरफ वापस लाने की कोशिश की है। नोटबंदी में मध्यम वर्ग ने ही सरकार का खुले तौर पर समर्थन किया था। इसे सरकार की ओर से उनके लिए तोहफा भी कहा जा सकता है। 
 
भाजपा का बुनियादी स्वरूप  : भाजपा को आमतौर पर बनियों या व्यापारियों की पार्टी माना जाता है। सरकार के नोटबंदी के निर्णय से व्यापारी वर्ग सीधे तौर पर प्रभावित हुआ था। ऐसा लग रहा था कि व्यापारी वर्ग पार्टी से दूर छिटक गया है लेकिन वित्तमंत्री ने बजट में 50 करोड़ तक के टर्नओवर वाले लघु और मध्यम उद्योगों के लिए टैक्स को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा की है। यह व्यापारियों, कारोबारियों के जख्मों पर मरहम का काम करेगा। इस घोषणा से यह बात एक बार फिर साबित हो गई है कि भाजपा व्यापारियों के हितों का ध्यान रखती है। 
 
महिला मतदाताओं पर मेहरबानी  : महिलाओं वोटरों को अपनी ओर लाने के लिए वित्तमंत्री ने गर्भवती महिलाओं के खाते में सीधे 6 हजार रुपए देने की घोषणा की है। अस्पतालों में बच्चे को जन्म देने और बच्चे का पूर्ण टीकाकरण कराने वाली गर्भवती महिलाओं के बैंक खातों में देशभर में कुल मिलाकर करीब 6,000 करोड़ रुपए हस्तांतरित किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।

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