सूत्रों के अनुसार, भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच 5वें दौर की बातचीत का बेनतीजा रहा है। यह बैठक चीन के अनुरोध पर मोलडो में रविवार को हुई थी, जो 10 घंटे तक चली थी। इस बार की बातचीत का हैरानी वाला पार्ट यह था कि अब चीन ने उल्टा भारत से पैंगोंग त्सो से पीछे हटने को कहा है और इस प्रस्ताव को भारत ने ठुकरा दिया है।
चीन ने भारत से फिंगर 4 से भी पीछे हटने को कहा जबकि भारत फिंगर 8 तक पैट्रोलिंग किया करता था और उसे फिंगर 8 को एलएसी मानता है। फिंगर 4 एलएसी के इस पार भारत के नियंत्रण वाला क्षेत्र रहा है। लेकिन मई महीने से चीनी सेना फिंगर 4 पर आ चुकी थी बाद में बातचीत के बाद चीनी सेना फिंगर 5 पर चली गई। भारतीय सेना को अब भी चीनी सेना फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करने के लिए आगे नहीं बढ़ने दे रही। जिसका परिणाम यह है कि दोनों के बीच टकराव तनावपूर्ण होता दिख रहा है।
रविवार को हुई बातचीत में चीन भी पैंगोंग त्सो से पीछे नहीं हटने पर अड़ा रहा था। भारत ने एलएसी पर तनाव कम करने के लिए चीन के पीछे हटने और अप्रैल की यथास्थिति कायम करने की शर्त रखी थी, जबकि अब चीन भारत को अतिक्रमणकारी करार देते हुए उसे ही पीछे हटने को कह रहा है।
सेना अधिकारियों के बकौल, गोगरा हॉट स्प्रिंग के पेट्रोलिंग पॉइंट 17 और 17-ए से भी अब चीनी सेना पीछे नहीं हट रही और डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया का पालन नहीं कर रही है। रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक डॉक्यूमेंट अपलोड किया है, जिसमें उसने स्वीकार किया है कि मई महीने से चीन लगातार एलएसी पर अपना एग्रेशन बढ़ाता जा रहा है, खासतौर से गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा हॉट स्प्रिंग जैसे क्षेत्रों में।