रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा राज्यसभा को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि कोचिंग संस्थानों से जीएसटी संग्रह 2019-2024 के बीच तेजी से बढ़कर 2,241 करोड़ रुपए से 5,517 करोड़ रुपए हो गया है। यह जीएसटी संग्रह में आश्चर्यजनक रूप से 146 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भूमिका बेहतर प्रवर्तन की हो सकती है, लेकिन ऐसा संभवत: बढ़ते बाजार के आकार से भी हुआ है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि चिंता की बात यह है कि वित्त वर्ष 2024 में 18 प्रतिशत की दर से 5,517 करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रह सालाना 30,653 करोड़ रुपए का कोचिंग बाजार बता रहा है। यह बेहद चिंताजनक आंकड़ा है, क्योंकि यह वित्त वर्ष 2024 में उच्च शिक्षा के लिए केंद्रीय बजट के आवंटन के लगभग दो-तिहाई के बराबर है। जीएसटी के आंकड़े संभवत: कोचिंग संस्थानों के बाजार को कम आंक रहे हैं।
रमेश ने कहा कि भारत को कोचिंग संस्थानों की इस तेजी से बढ़ती संख्या के लिए एक व्यापक नीतिगत समाधान की आवश्यकता है। पाठ्यक्रम को संशोधित किए जाने की आवश्यकता है और स्कूल पाठ्यक्रम के अनुरूप लाया जाना चाहिए, सभी परीक्षार्थियों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है और शिक्षा की गुणवत्ता में निवेश किया जाना चाहिए।(भाषा)