Congress accuses BJP: कांग्रेस ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड के अपारदर्शी होने का आरोप लगाया और दावा किया कि राजनीतिक चंदा हासिल करने की यह व्यवस्था सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा पहुंचाने लिए लाई गई है। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि चुनावी बॉन्ड में पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए।
उन्होंने यह आरोप उस वक्त लगाया है, जब कुछ दिनों पहले आई 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' (एडीआर) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि देश के राजनीतिक दलों को वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान मिले कुल चंदे की आधी से अधिक राशि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त हुई तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अन्य राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे से भी अधिक चंदा मिला।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान 7 राष्ट्रीय दलों और 24 क्षेत्रीय पार्टियों को 16,437 करोड़ रुपए का चंदा मिला। खेड़ा ने एडीआर की इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा कि वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान भाजपा को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 5,271.97 करोड़ रुपए का चंदा मिला जबकि शेष अन्य राष्ट्रीय दलों को सिर्फ 1,783.93 करोड़ रुपए की राशि मिली।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड के कारण चुनावी चंदे की व्यवस्था अपारदर्शी हो गई। इस बॉन्ड के खिलाफ चुनाव आयोग, उच्चतम न्यायालय, रिजर्व बैंक सभी की आपत्तियां थीं। लेकिन इसे धन विधेयक के रूप में पारित कर दिया। भाजपा ने इसके जरिए विधायक खरीदे और सरकारें गिराईं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पहले एक कंपनी अपने 3 साल के शुद्ध लाभ का 7.5 प्रतिशत से ज्यादा दान नहीं कर सकती थी। लेकिन भाजपा सरकार ने यह सीमा हटा दी।
उन्होंने कहा कि अब किसी कंपनी को यह बताने की जरूरत नहीं कि किसको कितनी राशि दी गई। यह बहुत अपारदर्शी है। जब इतना बड़ा बेनामी धन, किसी पार्टी के खाते में आता है तो स्पष्ट होता है कि काला धन कैसे सफेद किया जाता है?(भाषा)