Shivaji Maharaj Statue Controversy: छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के मामले में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी राज्य की जनता से माफी मांगी है। हालांकि महायुति सरकार मूर्ति के मामले पल्ला झाड़ते हुए इसका जिम्मा नौसेना पर डालते हुए दिखाई दी। सरकार ने कहा कि इस प्रतिमा का निर्माण नौसेना ने किया था। चूंकि मामला शिवाजी महाराज से जुड़ा हुआ है और राज्य में विधानसभा चुनाव भी जल्द ही होने वाले हैं। ऐसे में सरकार हर कदम फूंक-फूंककर रख रही है।
माना जा रहा है कि महायुति गठबंधन के लिए शिवाजी महाराज से जुड़ी प्रतिमा का मामला विधानसभा चुनाव में मुसीबत खड़ी कर सकता है। इस प्रतिमा का अनावरण नौ सेना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। लेकिन, 8 महीने बाद ही यह प्रतिमा गिर गई। विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने इसे सियासी मुद्दा बना लिया है।
इस बीच, मुख्यमंत्री शिंदे ने बुधवार देर रात राज्य सरकार और नौसेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और दो दिन पहले सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के मामले पर चर्चा की। मुंबई से लगभग 480 किलोमीटर दूर तटीय जिले सिंधुदुर्ग के मालवन तहसील के राजकोट किले में लगी प्रतिमा 35 फुट ऊंची थी, जो सोमवार को गिर गई थी। इससे पहले, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस घटना के लिए राज्य के लोगों से माफी मांगी और दोषियों को दंडित करने की प्रतिबद्धता जताई। ALSO READ: शरद पवार की सरकार को नसीहत, महाराष्ट्र में बच्चियों और महिलाओं पर बढ़ रहे हैं अत्याचार
क्या कहा फडणवीस ने : उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने इस मुद्दे पर सरकार का बचाव करने की कोशिश की। फडणवीस ने कहा कि प्रतिमा के निर्माण की देखरेख राज्य सरकार ने नहीं बल्कि नौसेना ने की थी। प्रतिमा के निर्माण और स्थापना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों ने स्थानीय महत्वपूर्ण कारकों जैसे हवा की तेज गति और इस्तेमाल किए गए लोहे की गुणवत्ता को नजरअंदाज किया होगा। समुद्री हवाओं के संपर्क में आने के कारण प्रतिमा में जंग लगने की संभावना अधिक हो सकती है। भाजपा के वरिष्ठ नेता फडणवीस ने सवाल किया कि अब सवाल यह है कि प्रतिमा के निर्माताओं ने इसे स्थापित करने से पहले इन सभी कारकों को समझा था या नहीं।
फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार ने अब उसी स्थान पर 17वीं सदी के मराठा योद्धा राजा की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय किया है। सिंधुदुर्ग से ताल्लुक रखने वाले महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने उसी स्थान पर शिवाजी महाराज की 100 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। ALSO READ: मनोज जरांगे की महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों पर नजर, आंदोलन को लेकर क्या बोले
पीडब्ल्यूडी का खत : महाराष्ट्र पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा लिखा गया एक पत्र सामने आया है, जिसमें अधिकारियों ने प्रतिमा पर 'जंग' लगने और इसके 'खराब' दिखने का उल्लेख किया था। सिंधुदुर्ग जिले में प्रतिमा के गिरने से 6 दिन पहले नौसेना के एक अधिकारी को भेजे गए पत्र में स्थायी उपाय सुझाए गए थे। पीडब्ल्यूडी के पत्र में खुलासा हुआ है कि विभाग के एक सहायक अभियंता ने नौसेना के एक अधिकारी को प्रतिमा के कुछ हिस्सों में जंग लगने और उसके खराब दिखने के बारे में लिखा था। यह पत्र 20 अगस्त को मालवन तहसील में पीडब्ल्यूडी कार्यालय से जुड़े एक सहायक अभियंता द्वारा क्षेत्रीय तटीय सुरक्षा अधिकारी और क्षेत्रीय नागरिक-सैन्य संपर्क अधिकारी कमांडर अभिषेक करभारी को संबोधित करते हुए भेजा गया था।
पीडब्ल्यूडी इंजीनियर ने पत्र में कहा था, आपने राजकोट किले में शिवाजी महाराज की एक मूर्ति स्थापित की है। मूर्ति के कलाकार जयदीप आप्टे ने जून में कुछ मरम्मत कार्य किए थे। समुद्री हवाओं और बारिश के कारण प्रतिमा में इस्तेमाल किए गए नट और बोल्ट जंग खा गए हैं। पूरी प्रतिमा अब खराब दिख रही है। इंजीनियर ने लिखा था- साल भर किले को देखने आने वाले पर्यटक, स्थानीय निवासी और जनप्रतिनिधि प्रतिमा की स्थिति को लेकर निराशा व्यक्त करते हैं।
प्रतिमा निर्माण में घोटाला : शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने प्रतिमा के निर्माण में घोटाले का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि औरंगजेब और मुगलों ने भी शिवाजी महाराज का इस तरह अपमान नहीं किया था। राज्यसभा सदस्य ने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए, हम मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग करते हैं। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री रवींद्र चव्हाण से विभाग वापस ले लेना चाहिए। उन्होंने शिवाजी महाराज को भी नहीं बख्शा और भ्रष्टाचार में लिप्त हुए। उन्होंने कहा कि प्रतिमा बनाने का ठेका मुख्यमंत्री के करीबी लोगों को दिया गया। राउत ने इसे एक गंभीर मामला बताया।
मुख्यमंत्री शिंदे के इस बयान का जिक्र करते हुए कि 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने के कारण प्रतिमा गिरी, राउत ने कहा कि तटीय क्षेत्रों पर हवा तेज ही चलती है। राउत ने कहा कि समाज सुधारक लोकमान्य तिलक की प्रतिमा मुंबई के गिरगांव चौपाटी पर 1933 में स्थापित की गई थी, लेकिन यह अब भी खड़ी है। उन्होंने कहा कि 1956 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सतारा जिले में प्रतापगढ़ किले में शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की थी और वह अब भी उसी स्थिति में है।
एनसीपी (शरद चंद्र पवार) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने इस घटना को एक गंभीर मुद्दा करार दिया और कहा कि सरकार ने प्रतिमा स्थापित करते समय आवश्यक सावधानी नहीं बरती। पाटिल ने कहा कि इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सरकार ने केवल प्रधानमंत्री के हाथों अनावरण के उद्देश्य से एक कार्यक्रम आयोजित किया।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala