कफ सीरप बनाने वाली कंपनी के संचालकों के साथ ही दवा लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ छिंदवाड़ा के परासिया थाने में ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक एक्ट की धारा 27(A), बीएनएस की धारा 105 और 276 के तहत केस दर्ज किया गया है। इसके बाद डॉक्टर सोनी की गिरफ्तारी भी हो गई।
जान बचाने वाली दवा क्यों बनी जहर : तमिलनाडु सरकार द्वारा कराई गई जांच में पता चला कि कोल्ड्रिफ सिरप के बैच SR-13 में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल मिला हुआ है। यह निर्धारित सीमा 0.1 प्रतिशत से काफी अधिक है। वहां तुरंत अलर्ट जारी हुआ, उत्पादन रोका गया और रिटेल और थोक स्टॉक को सीज किया गया। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसका सीधा असर पेट पर पड़ता है। किडनी में क्रिस्टल बनने से किडनी फैल होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
इन राज्यों में बैन हुई कोल्ड्रिफ : कोल्ड्रिफ में डायएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा ज्यादा होने की पुष्टि होने के बाद मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान में इसकी ब्रिकी रोक दी गई। इसके बाद केरल, दिल्ली और झारखंड में भी इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब, बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी इस मामले में सतर्कता बरती जा रही है।
एक्शन में केंद्र सरकार : कफ सीरप मामले में आज स्वास्थ्य मंत्रालय की बड़ी बैठक। वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बैठक में सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और ड्रग कंट्रोलर शामिल होंगे। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने भी मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से मौत की खबरों के बाद 6 राज्यों में कफ सीरप और एंटीबायोटिक दवाएं बनाने वाली 19 कंपनियों के प्लांट में 3 अक्टूबर से निरीक्षण शुरू किया है।