इसी समिति ने हाल में केंद्र सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए क्रीमीलेयर की ऊपरी सीमा को मौजूदा 6 से 8 लाख रुपए करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस पैमाने की जरूरत इसलिए हुई, क्योंकि सरकारी उपक्रमों और सरकार के तुलनात्मक पदों में स्पष्टता का अभाव था।
उस आदेश में केवल यह कहा गया था कि सरकार के ग्रुप ए और ग्रुप बी पदों के लिए तय मानदंड पीएसयू, बैंकों और वित्तीय संस्थानों में समान और तुलनात्मक पदों पर रहने वाले अधिकारियों पर भी लागू होंगे। अधिकारी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य आरक्ष्ण के लाभ के मामले में सरकारी और सरकारी वित्तीय संस्थानों के पदों और सरकारी नौकरियों के पदों के बीच समानता लाना है। (भाषा)