जीत वीडियो के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक अपना संदेश पहुंचाना चाहते हैं। वीडियो में जीत कहते हैं कि सैनिकों को पेंशन मिलती है, लेकिन हम लोगों की पेंशन बंद हो गई। 20 साल बाद हम नौकरी छोड़कर जाएंगे तो क्या करेंगे? हालांकि जीत को आर्मी की सुविधाओं पर ऐतराज नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि हम भी विषम परिस्थितियों में ड्यूटी करते हैं। हमें भी केंटीन और मेडिकल आदि सुविधाएं मिलनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 2004 तक सीआरपीएफ में भी पेंशन की सुविधा थी, लेकिन 2004 के बाद भर्ती हुए जवानों और अफसरों को पेंशन नहीं मिलती है। सीआरपीएफ कर्मियों के लिए कॉन्ट्रीब्यूटरी पेंशन की सुविधा है, जिसमें अपने वेतन का हिस्सा देना पड़ता है। रिटायर होने पर साठ फीसदी रकम मिल जाती है, जबकि बाकी 40 फीसदी रकम म्यूचुअल फंड में लगाई जाती है, जो पेंशन के रूप में मिलती है।
जीत ने अपने वीडियो में कहा कि शिक्षकों को 50 रुपए तक वेतन मिलता है, उन्हें छुट्टियां भी ज्यादा मिलती हैं। वे अपने परिवार के साथ त्योहार मनाते हैं। हम 20-20 घंटे ड्यूटियां करते हैं। छत्तीसगढ़, झारखंड के नक्सली इलाकों में में सीआरपीएफ कर्मी ड्यूटी करते हैं। हम त्योहार के समय भी ड्यूटियां करते हैं। मथुरा के रहने वाले जीत की शिकायत अपने अधिकारियों से नहीं, बल्कि सरकार से है।