इसके लिए रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों के बढ़ते आह्वान के बीच यूक्रेन में संघर्ष के गहराने को जिम्मेदार माना जा रहा है। इस बीच, लीबिया की राष्ट्रीय तेल कंपनी ने कहा कि एक सशस्त्र समूह ने दो महत्वपूर्ण तेल क्षेत्रों को बंद कर दिया था, जिसके बाद तेल की कीमतें बढ़ रही हैं।
खबरों के अनुसार, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। जिसके चलते कच्चे तेल के दामों में ये उछाल आया है। वैश्विक बाजारों में ईरानी कच्चे तेल की संभावित सप्लाई में देरी के कारण तेल की कीमतें 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। ब्रेंट क्रूड के दाम 139 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड लेवल पर जा पहुंचे हैं।
रूस के आने वाले सप्लाई अगर 2022 में पूरे साल जारी रही तो इस वर्ष कच्चे तेल का भाव 185 डॉलर प्रति बैरल के भाव को भी छू सकता है। उल्लेखनीय है कि रूस यूरोप को उसके कुल खपत का 35 से 40 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है। भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है। दुनिया में 10 बैरल तेल जो सप्लाई की जाती है उसमें एक डॉलर रूस से आता है।