साइबर अपराध : उच्चतम न्यायालय का गूगल, याहू, फेसबुक और माइक्रोसाफ्ट को नोटिस

सोमवार, 5 दिसंबर 2016 (22:58 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोशल नेटववर्किंग साइट पर यौन अपराध के वीडियो साझा करने और साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए दायर याचिका पर गूगल, माइक्रोसाफ्ट, याहू और फेसबुक से जवाब तलब किए।
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने इन कंपनियों को नोटिस जारी किए। इन सभी को अगले साल 9 जनवरी तक नोटिस का जवाब देना है। गैर सरकारी संगठन प्रज्वला की ओर से वकील अपर्णा भट ने न्यायालय में कहा कि बलात्कार के वीडियो बनाने के बाद इन्हें सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्ट किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में इंटरनेट कंपनियों को इस तरह के साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
 
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दरसिंह ने न्यायालय को इस संबंध में गृह मंत्रालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा किए गए उपायों की जानकारी दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो ही साइबर अपराध के लिए नोडल एजेंसी है। उन्होंने कहा कि यौन अपराधियों के नाम सार्वजनिक करने के सवाल पर भारत और विदेशों में बहस जारी है और इस संबंध में लिए जाने वाले निर्णय पर अमल किया जाएगा।
 
इस पर पीठ ने कहा कि यदि यौन अपराधियों के नाम सार्वजनिक किए जाने हैं तो ऐसा मामला दर्ज करने के बाद नहीं बल्कि सिर्फ इस अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद ही होना चाहिए, क्योंकि अगर यह व्यक्ति बाद में बरी हो जाता है तो भी नाम सार्वजनिक हो जाने पर उसकी छवि खराब हो जाएगी।
 
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि यदि राज्य पुलिस को यौन अपराध के मामले में जांच के बाद आरोपी के खिलाफ कुछ नहीं मिला तो सीबीआई संबंधित अपराध से जुडे साइबर अपराध के पहलू के बारे में उससे पूछताछ नहीं करेगी। 
 
यही नहीं, न्यायालय ने महिलाओं के प्रति अपराध पर अंकुश के लिए किए जा रहे उपायों की सूची में ही बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा पर नियंत्रण के उपायों को भी शामिल करने का केन्द्र को निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा, राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के प्रति यौन हिंसा के मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। 
 
न्यायालय हैदराबाद स्थित गैर सरकारी संगठन प्रज्वला द्वारा तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू को भेजे गए पत्र पर सुनवाई कर रहा था। इस पत्र के साथ एक पेन ड्राइव में बलात्कार के दो वीडियो भी भेजे गए थे। न्यायालय ने इस पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो को इन अपराधियों को पकड़ने के लिए इन घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था। (वार्ता) 

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