न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पितले की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य में विसंगतियां हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, जिस सामग्री पर सीबीआई ने अपीलकर्ता (भावे) का इस घटना से संबंध साबित करने के लिए बहुत जोर दिया, लेकिन वह ऐसा संकेत देते नहीं लगते कि अपीलकर्ता के विरूद्ध लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सच हैं।
अदालत ने कहा कि सीबीआई बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए अभी जांच कर ही रही है, इसलिए निकट भविष्य में सुनवाई शुरू होने की संभावना कम ही है। पीठ ने भावे को एक लाख रुपए के मुचलके पर जमानत दी और उसे एक महीने तक हर दिन और फिर दो महीने के लिए हर दूसरे दिन पुणे में संबंधित थाने में हाजिर होने का निर्देश दिया।
अदालत ने भावे को एक महीने तक हर रोज पुणे में संबंधित थाने में पेश होने ओर उसके बाद दो महीने तक सप्ताह में दो बार पेश होने और उसके उपरांत सुनवाई के पूरी होने तक सप्ताह में एक बार पेश होने का निर्देश दिया। उसने उसे किसी भी सबूत से छेड़छाड़ नहीं करने और गवाहों को प्रभावित नहीं करने और किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों से भी दूर रहने का निर्देश दिया है।