जिस समय यह भीषण हादसा हुआ, उस समय दलबीर भी ट्रैक पर मौजूद था। बताया जा रहा है कि दलबीर को को पता चल गया था कि ट्रेन आ रही है, ऐसे में उसने लोगों को वहां से हटाने की कोशिश भी की, लेकिन इसी बीच ट्रेन आ गई और दलबीर भी उस दुर्घटना का शिकार हो गया। दलबीर पिछले कई सालों से रामलीला में रावण का रोल निभा रहा था।
दलबीर (32) आखिरी दिन की रामलीला का मंचन होने के बाद अपनी ड्रेस और स्मृति चिह्न घर पर रखकर रावण दहन देखने जा रहा था। बड़े भाई ने बताया कि दलबीर ने ट्रेन आती देखकर लोगों को ट्रैक से हटने को कहा। ट्रैक से खींचकर तीन लोगों की जान बचाई, लेकिन खुद को नहीं बचा सका। 10 साल पहले इसी ट्रैक पर उनके दृष्टिहीन पिता की भी मौत हुई थी।
आंसुओं में डूबी दलबीर की मां को तो अब भी यकीन नहीं हो रहा कि उनका लाड़ला अब इस दुनिया में नहीं है। दलबीर की मां ने सरकार से गुहार लगाई है कि उसकी बहू (दलबीर की पत्नी) को सरकारी नौकरी दी जाए। दलबीर की पत्नी का भी रो-रो कर बुरा हाल है। दलबीर के परिजनों का मानना है कि इस घटना के लिए प्रशासन जिम्मेदार है।
बताया जाता है कि हादसे में ज्यादातर बच्चों की मौत ट्रेन की चपेट में आने से नहीं हुई, बल्कि पैरों से कुचले जाने से हुई। दरअसल, भगदड़ मची तो दूर खड़े माता-पिता के हाथों से उनके बच्चों की उंगलियां छूट गईं और लोग उन्हें रौंदते चले गए। हालात यह थे कि बच्चों की छोटी-छोटी चप्पलें, खिलौने, चॉकलेट, टॉफियां रेलवे ट्रैक पर बिखरी थीं। (Photo courtesy ANI Twitter)