उन्होंने कहा कि इस कानून की धारा 69 ए को तभी लगाया जा सकता है, जब वर्णित बातों का उल्लंघन किया जाए और इसमें मानहानि व कही-सुनी बातों को शामिल नहीं किया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून में जिस अंतरविभागीय समिति की स्थापना की बात कही गई है, उसे कोड ऑफ एथिक्स के अनुपालन में शिकायतें सुनने तथा किसी भी सामग्री को हटाने, इसमें बदलाव करने और इसे ब्लॉक करने संबंधी सिफारिश सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को करना काफी निरंकुशताभरा उपाय है।
सरकार का इसे लेकर कहना है कि 'दुरुपयोग और हिंसा' के प्रति सोशल मीडिया और अन्य कंपनियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के नए नियमों की आवश्यकता है। ये नियम 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की अनिवार्यता और भारत में कानून प्रवर्तन में सहयोग करने के लिए कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्त करने के निर्देश देते हैं। (वार्ता)