सरकार ने पिछले साल 8 नवंबर को 500 तथा एक हजार रुपए के पुराने नोटों को बंद कर दिया था। इसके बाद से उसने डिजिटल माध्यमों से लेनदेन को बढ़ावा देने के कई उपाय किए हैं। उसने एक तरफ डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित किया है तो दूसरी और नकद लेनदेन को हतोत्साहित करने के लिए उसे महंगा बना दिया है। इस दौरान बैंकों ने अपने स्तर पर भी नकद निकासी पर कई तरह की सीमाएं लगा दी हैं जिसकी वजह से लोग डिजिटल लेनदेन करने के लिए बाध्य हुए हैं।
आंकड़ों के मुताबिक इन छह महीनों में सबसे ज्यादा 8803 प्रतिशत की तेजी भीम तथा अन्य एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) से होने वाले लेनदेन में देखी गई। रिजर्व बैंक ने पिछले साल ही देश में यूपीआई भुगतान प्रणाली शुरू की थी इसलिए नोटबंदी के समय तक इसके बारे में ज्यादा लोगों को पता भी नहीं था। नोटबंदी के दिन इस माध्यम से महज 3,721 भुगतान किए गए थे।
नोटबंदी के बाद सरकार ने सबसे ज्यादा बढ़ावा भी इसी माध्यम को दिया। सरकार के प्रयासों को देखते हुए सभी बैंक यूपीआई ऐप लांच करने के लिए विवश हुए। सरकार ने भी भीम (भारत इंटरफेस फॉर मनी) के नाम से एक ऐप लांच किया। इन प्रयासों के कारण 17 मई तक इस माध्यम से होने वाले भुगतानों की संख्या बढ़कर तीन लाख 31 हजार पर पहुंच गई।