मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर सकते है। राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल दिग्विजय आज रात दिल्ली पहुंच रहे है और कल या परसों वह कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर सकते है। दिग्विजय सिंह से करीबी सूत्र बताते है कि दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की तैयारियों को लेकर अपनी टीम को भी भोपाल से दिल्ली बुलाया।
कांग्रेस की राजनीति को करीबी से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक कहते हैं कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए एक अच्छे दावेदार हो सकते है। अब तक जो खबरें आ रही है उसके मुताबिक दिग्विजय सिंह को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के लिए दिल्ली बुलाया गया है। ऐसे में राजस्थान के घटनाक्रम के बाद जो विकल्प बचे है उसके दिग्विजय सिंह अन्य दावेदारों से एक बेहतर विकल्प हो सकते है।गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह इन दिनोंं राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल है और वह पूरी यात्रा के संयोजक भी है।
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक आगे कहते हैं कि राहुल गांधी की पहली प्राथमिकता है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का उम्मीदवार वैचारिकता में संघ का विरोधी हो क्योंकि राहुल गांधी एक वैचारिक लड़ाई लड़ रहे है और उसमें दिग्विजय सिंह पूरी तरह खरे उतरते है। वहीं दूसरी पात्रता गांधी परिवार के प्रति निष्ठा जिसमें दिग्विजय सिंह खरे उतरते है। वहीं दिग्विजय सिंह जिस तरह से निडरता के साथ मोदी-शाह की जोड़ी को चुनौती दे रहे है उससे भी वह कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए एक बेहतर दावेदार हो सकते है।
गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह ने पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। चुनाव लड़ने के सवाल पर दिग्विजय सिंह ने कहा था कि देखते हैं, क्या होता है,चुनाव लड़ने का अधिकार तो सबको है, 30 सितंबर आपको तक पता चल जाएगा कि मैं चुनाव लड़ रहा हूं या नहीं। इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कोई भी लड़ सकता है।
शशि थरूर से मिलेगी चुनौती?-दिग्विजय सिंह के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नामांकन भरने के बाद उनका मुकाबला कांग्रेस सांसद शशि थरूर से हो सकता है। तिरूवंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर 30 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने की बात कही है। आज शशि थरूर ने एक ट्वीट कर लिखा कि "मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया- मजरुह सुल्तानपुरी”।