free schemes to voters: मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) राजीव कुमार (Rajeev Kumar) ने मंगलवार को नई दिल्ली में कहा कि यह परिभाषित करना बहुत मुश्किल है कि 'मुफ्त उपहार योजनाएं' (Freebies) क्या हैं और इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग के 'हाथ बंधे हुए हैं', क्योंकि यह मामला अदालत के विचाराधीन है।
कुमार ने कहा कि मेरे लिए जो मुफ्त सौगात है, वह किसी और के लिए एक पात्रता हो सकती है। यह परिभाषित करना बहुत मुश्किल है कि मुफ्त सौगात क्या है। उन्होंने हालांकि कहा कि इस तरह की घोषणाएं करते समय लोगों को राज्य की राजकोषीय स्थिति के बारे में भी पता होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम भावी पीढ़ियों के भविष्य को दांव पर नहीं रख सकते, यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि स्वीकार्य और कानूनी जवाब ढूंढे जाएं लेकिन फिलहाल हमारे हाथ बंधे हुए हैं, क्योंकि मामला अदालत के विचाराधीन है।
प्रस्तावित प्रोफार्मा में राजस्व सृजन के तरीकों (अतिरिक्त कर के जरिए), व्यय को तर्कसंगत बनाने (जरूरत पड़ने पर कुछ योजनाओं में कटौती), प्रतिबद्ध देनदारियों पर प्रभाव और/या तथा कर्ज जुटाने व राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) की सीमाओं पर इसके प्रभाव का ब्योरा मांगा गया है।