Special intensive revision of voter list in Bihar: निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को उचित ठहराते हुए कहा है कि यह सूची से अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर चुनाव की शुचिता को बढ़ाता है। बिहार से शुरू कर पूरे भारत में मतदाता सूची के एसआईआर का निर्देश 24 जून को दिया गया।
इस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि कानूनी चिंताओं के बावजूद आयोग एसआईआर-2025 प्रक्रिया के दौरान पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए आधार, मतदाता कार्ड और राशन कार्ड पर पहले से ही विचार कर रहा है।ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से कहा, मतदाता सूची पुनरीक्षण में थोड़ी देर कर दी
आयोग ने एक विस्तृत हलफनामे में कहा कि एसआईआर प्रक्रिया मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों को हटाकर चुनावों की शुचिता बढ़ाती है। मतदान का अधिकार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धाराओं 16 और 19 के साथ अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62 से प्राप्त होता है जिसमें नागरिकता, आयु और सामान्य निवास के संबंध में कुछ पात्रताओं की बात की गई है। एक अपात्र व्यक्ति को मतदान का कोई अधिकार नहीं है और इसलिए वह इस संबंध में अनुच्छेद 19 और 21 के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकता।
इसमें शीर्ष अदालत के 17 जुलाई के उस आदेश का हवाला दिया गया जिसमें निर्वाचन आयोग से एसआईआर-2025 के लिए आधार, मतदाता और राशन कार्ड पर विचार करने को कहा गया था। इसमें कहा गया है कि आयोग इन दस्तावेजों पर वास्तव में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए पहले से ही विचार कर रहा है।
यह कहा ईसीआई ने : ईसीआई ने कहा कि एसआईआर आदेश के तहत जारी किए गए गणना प्रपत्र के अवलोकन से पता चलता है कि गणना प्रपत्र भरने वाला व्यक्ति आधार संख्या स्वेच्छा से दे सकता है। ऐसी जानकारी का उपयोग लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) और आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा नौ के अनुसार पहचान के उद्देश्य से किया जाता है।ALSO READ: LIVE : राहुल गांधी का बड़ा आरोप, बिहार के युवाओं के वोट चुराना चाहते हैं निर्वाचन आयुक्त
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) में प्रावधान है कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के अनुसार उस व्यक्ति से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया आधार नंबर मांग सकता है। साथ ही 2016 के अधिनियम की धारा नौ कहती है कि आधार नंबर नागरिकता या निवास आदि का प्रमाण नहीं है।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि बिहार से अस्थायी रूप से अनुपस्थित प्रवासियों को छोड़कर प्रत्येक मौजूदा मतदाता को बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा उनके घरों पर व्यक्तिगत रूप से पहले से भरे हुए उनके गणना प्रपत्र उपलब्ध कराए जाते हैं। उसने कहा कि प्रत्येक मौजूदा मतदाता को अपने निवास स्थान पर बीएलओ को पात्रता प्रमाण सहित सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने का समान अवसर मिलता है।ALSO READ: Bihar : मतदाता पुनरीक्षण पर भड़कीं राबड़ी देवी, बोलीं- निर्वाचन अधिकारियों को दस्तावेज न दिखाएं
पिछले सभी एसआईआर में भी यही पद्धति अपनाई गई है। इसके अलावा, बीएलओ, बीएलए (बूथ स्तरीय एजेंट) और स्वयंसेवक उन सभी वास्तविक मतदाताओं को पात्रता दस्तावेज प्राप्त करने में सक्रिय रूप से सहायता कर रहे हैं जिन्हें सहायता की आवश्यकता है।
आयोग ने न्यायालय को बताया कि 18 जुलाई तक बिहार में 7,89,69,844 मौजूदा मतदाताओं में से 7,11,72,660 मतदाताओं (90.12 प्रतिशत) से गणना प्रपत्र पहले ही एकत्र किए जा चुके हैं। इसमें कहा गया कि मृत व्यक्तियों, स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं और एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत लोगों को ध्यान में रखते हुए एसआईआर के प्रपत्र संग्रह चरण के दौरान बिहार में लगभग 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 94.68 प्रतिशत को प्रभावी रूप से कवर किया है।
बीएलओ द्वारा कई बार घर पर जाने के बावजूद जिन मतदाताओं का पता नहीं चल पाया है, वे कुल मतदाताओं का मात्र 0.01 प्रतिशत हैं। 18 जुलाई, 2025 तक केवल 5.2 प्रतिशत मतदाता ही 25 जुलाई की समय सीमा से पहले प्रपत्र जमा करने के लिए शेष हैं।(भाषा)