जम्मू। पुंछ जिले के भाटाधुड़ियां जंगलों में 16 दिनों से चल रही मुठभेड़ जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के इतिहास की सबसे लंबी मुठभेड़ बन गई है। सेना अब इसे किसी भी तरह से खत्म करना चाहती है क्योंकि अपने 9 जवानों को गंवाने वाली सेना अभी तक उन दर्जनभर आतंकियों के शव भी तलाश नहीं कर पाई है, जिनके बारे में उसने दावा किया था। सेना के 10 से अधिक जवान जख्मी भी हैं।
यही कारण है कि मंगलवार को आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच इसी जंगल में मुठभेड़ उस समय फिर से शुरू हो गई, जब सेना ने आतंकियों को खत्म करने के इरादों से फाइनल असाल्ट को शुरू करते हुए आतंकियों को घेर कर चारों ओर से ही नहीं बल्कि आसमान से भी लड़ाकू हेलीकॉप्टरों व ड्रोनों से हमला बोला था। जंगल के आसपास रहने वाले लोगों के मुताबिक, फायरिंग की आवाज दूर तक सुनाई दे रही है। इससे पहले सुरक्षाबलों ने आतंकियों के 6 से 8 ठिकाने खोज निकाले थे। इनका इस्तेमाल आतंकी लंबे समय से कर रहे थे।
आतंकी ठिकानों से कपड़े दवाइयां, खाने के पैकेट समेत कुछ गोला-बारूद भी बरामद किया गया है। मंगलवार को सुरक्षाबल जंगल के बड़े हिस्से में तलाशी अभियान चला रहे हैं।
रविवार को भाटाधुड़ियां के जंगल में आतंकी ठिकाने का पता लगाने के लिए जेल में बंद आतंकी को साथ लेकर गए सुरक्षाबलों पर छिपे आतंकियों ने हमला कर दिया था। इसमें पाकिस्तानी आतंकी जिया मुस्तफा की मौत हो गई थी। मुस्तफा को कोट भलवाल जेल से पुंछ लाया गया था। वह आतंकियों के संपर्क में था और उन्हें भाटाधुड़ियां के जंगल में छिपने व हमला करने में गाइड कर रहा था।
आतंकियों की फायरिंग में दो पुलिसकर्मी और एक सेना का जवान घायल हो गए थे, जिनका उपचार जारी है।
सोमवार सुबह जैसे ही सुरक्षा बलों ने प्राकृतिक गुफाओं की घेराबंदी को कड़ा किया, जंगल में छिपे आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। सुबह साढ़े छह से साढ़े आठ और फिर नौ से साढ़े नौ बजे तक गोलीबारी होती रही। इसके बाद जंगल में कोई फायरिंग नहीं हुई। अभी तक किसी आतंकी के मारे जाने की आधिकारिक सूचना नहीं है। सेना और पुलिस के एसओजी विंग के जवान एहतियात बरतते हुए मोर्चा संभाले हुए हैं।