धर्म, दर्शन, अध्यात्म, ज्ञान-मीमांसा, ध्यान और योग की परतों में गहरे पैठकर उनका शोधन करना हमारा लक्ष्य है। हम और आप इस यात्रा में देखेंगे कि कैसे हम उन "प्रयोजनमूलक" पक्षों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ सकते हैं, जो हमारे लिए उपयोगी अंतर्दृष्टियों का अनुसंधान करते हों, जो हमें बताते हों कि धर्म कैसे हमारी आत्मा के साथ ही हमारे मन और जीवन का भी पोषण करता है। और यह भी कि धर्म किन्हीं अमूर्त सूक्तियों और परिकल्पनाओं का संकलन भर नहीं होता, उसकी एक गहरी आत्मिक उपादेयता होती है। वह परम सत्य की जिज्ञासा का व्याकरण भी होता है। वह लौकिक से पारलौकिक तक यात्रा करता है और इस यात्रा में हमारी चेतना का समग्र परिष्कार करता है।