उन्होंने लाइव डेमो से पहले भारत के चुनाव आयोग पर भी अंगुली उठाई। उन्होंने कहा कि मॉक टेस्ट के नाम पर लोगों को वेबकूफ बनाया जाता है। इसके माध्यम से आयोग सिर्फ यह बताता है कि मशीन कितनी सच्ची है। दरअसल, इसके माध्यम से जनता वेबकूफ बनती है। भारद्वाज ने बताया कि ईवीएम के जरिए किस तरह आम आदमी पार्टी के 10 वोट 2 रह गए और भाजपा के 3 के ग्यारह हो गए। बाकी पार्टियों के वोटों में कोई अंतर नहीं आया।
लाइव डेमो पर सवाल : जिस तरह आम आदमी पार्टी चुनाव आयोग और ईवीएम पर पर सवाल उठा रही है, उसी तरह लाइव डेमो पर भी सवाल उठाए जा सकते हैं। सौरभ की ईवीएम कितनी विश्वसनीय है, इसकी गारंटी कौन देगा, दूसरा जिस तरह उन्होंने बताया कि आप के 10 में से आठ वोट भाजपा को चले गए और भाजपा के वोट 3 के 11 हो गए। सौरभ ने धौलपुर का उदाहरण दिया कि वहां हर वोट भाजपा को मिला, एक लाख 47 हजार 202 वोटों में से भाजपा श्रीमती शोभारानी कुशवाह को 91 हजार 548 वोट और उनके निकटतम प्रद्वंद्वी बनवारी लाल शर्मा को 52875 मत मिले। अन्य उम्मीदवारों को भी वोट मिले। सब वोट भाजपा को ही मिले तो इन्हें वोट कहां से मिल गए।
आम आदमी पार्टी पर सवाल इसलिए भी उठाया जा सकता है कि उन्होंने लाइव डेमो के लिए सदन को चुना, जबकि चुनाव ने ईवीएम में गड़बड़ी निकालने की चुनौती दी थी, तब कोई भी नेता वहां नहीं पहुंचा था। इसका क्या अर्थ निकाला जाए? आप यह भी भूल जाती है कि दिल्ली में चुनाव में 67 सीटें उसे ईवीएम से हुई वोटिंग के कारण ही मिली थीं।
सौरभ भारद्वाज ने यह भी कहा कि जीतेगा तो वही, जिसके पास यह मशीनें हैं। उनसे यह भी सवाल पूछा जा सकता है कि यूपीए की सरकार सत्ता में होने के बावजूद कैसे केन्द्र में भाजपा की सरकार न गई? और कैसे बिहार में मोदी और अमित शाह द्वारा पूरी ताकत झोंके जाने के बाद भी भाजपा पटखनी खा गई?